बिना शायरी के ही जीता हुआ हूँ।
अभी शेर था, अब से चीता हुआ हूँ।
किसी से नहीं जीत की चाह बाकी,
फलों के जगत में पपीता हुआ हूँ।।
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
अभी शेर था, अब से चीता हुआ हूँ।
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लिंक शेयर करने के लिए धन्यवाद बन्धु, जय भारती|
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