चुनाव और प्रेम में भी अजीब घालमेल है,
सिर्फ शब्दों, इशारों व भावनाओं का तालमेल है।
वहाँ भी चुनाव था,
यहाँ भी चुनाव है,
वहाँ न कुछ प्रभाव था,
यहाँ न कुछ प्रभाव है,
दिल खोलकर सब कह दिया,
तब भी न कुछ दुराव था,
अब भी न कुछ दुराव है।।
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सिर्फ शब्दों, इशारों व भावनाओं का तालमेल है।
वहाँ भी चुनाव था,
यहाँ भी चुनाव है,
वहाँ न कुछ प्रभाव था,
यहाँ न कुछ प्रभाव है,
दिल खोलकर सब कह दिया,
तब भी न कुछ दुराव था,
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