जय हे! जय हे! जय हे! माते!
इस भक्त का मान बनाए रखो!
संसार भले विस्मृत होये,
निज चरणों का ज्ञान बनाए रखो।।
झोली फैला क्या माँगूँ मैं,
इस शीष पे हाथ बनाए रखो।
तुम मातु सी मातु हो जग जाने,
इस पुत्र से साथ बनाए रखो।।
सम्पत्ति मुझे जो दी माते!
उसको सम्पूर्ण बनाए रखो।
निष्क्रिय होकर रुक जाऊँ नहीं,
इतना आघूर्ण बनाए रखो।।
तुम संग रहो इस बालक के,
नित बाल स्वभाव बनाए रखो।
जिह्वा रटती रहे माँ, माँ, माँ,
उर में एक घाव बनाए रखो।।