गुरुवार, 3 जून 2021

दोपहर

जीवन की दोपहर बीतने वाली है।
तन है तृप्त तृषित मन सम्मुख, 
घट थोड़ा सा खाली है।
कहने को ही समय बहुत है,
छिपी काल की व्याली है।

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