सोमवार, 21 जून 2021

महबूब

अब न हाथ में किताबें, कन्धों पर बस्ते होंगे,
सड़क पर मिल जायें तो भी एक न रस्ते होंगे।
जो बिक चुके हैं दूसरे की दहलीज पर प्यारे,
क्या करें महबूब का महबूब जो सस्ते होंगे।।
अन्तर्जाल से साभार

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