खुसरो बहुत उदास है, खुले नहीं स्कूल।
जो पाया था ज्ञान वह, सब बैठा है भूल।।
इंटरनेट की गाँव में, हुई न अच्छी पैठ।
भट्ठा विद्या दान का, यहाँ गया है बैठ।।
कोरोना ने रोक दी, बच्चों की बढ़वार।
शिक्षा हो पायी नहीं, बन्धन हुए अपार।।
पिंजरे का तोता बना, खुसरो तके अगास।
कोरोना मर जाए तो, जीवन भरे उजास।।
चित्त हो गए गुरु जी, चेहरा भरे कराह।
रोक पढ़ाई पर लगी, कैसे हो निर्वाह।।
भट्ठा विद्या दान का, यहाँ गया है बैठ।।
जवाब देंहटाएंभट्ठा विद्या दान का, यहाँ गया है बैठ।।
हम्म्म , इस कोरोना ने सभी बैंड बजा रखा है ,
बहुत रोचक तरीके से लिखी रचना ,
शुभकामनाओं सहित सादर नमन
आभार आदरणीया, व सादर नमन
हटाएंबहुत खूब रही
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार बहन।
हटाएंबहुत ही अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय बन्धु।
हटाएंविद्यालय विदाई समारोह पर मेरे द्वारा रचित कविता "आप बहुत याद आएंगे" पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दे
जवाब देंहटाएंआपकी अति कृपा होगी
जरूर भाई।
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