शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

ऊँचा नीचा

उसको थोड़ा ऊँचा कर दो इसको थोड़ा नीचा।
हम समान करके मानेंगे गद्दा और गलीचा।।
कोई सिर न झुकायेगा अब चाहेगा आशीष नहीं।
एक कुड़ी से नैन लड़ायें चाचा और भतीजा।।

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-04-2017) को "करो सतत् अभ्यास" (चर्चा अंक-2934) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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