मेरे बस में कुछ होता? तो ऐसा होता?
आगे चलता मैं पीछे से, पैसा होता।
हाथपैर की पटकन को ही, कर्म कहें तो,
नायक कर्मठजन का बंदर, जैसा होता।
क्यों लिखता हूँ अगर पता चल जाता प्यारे,
तो फिर सोचो मेरा लेखन कैसा होता?
तुमने आसानी से रचना लाइक कर दी,
लेकिन मुझसे लिखना जैसा तैसा होता।।
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