शनिवार, 9 अप्रैल 2022

बहुत बड़े पाजी

हम तो बहुत बड़े पाजी हैं तुम भी बहुत बड़े पाजी।
झोला बंद बंद रहने दो बाजा अभी नहीं बाजी।।1।।
कौए हों या कोयल सबके अपने मौसम होते हैं।
पपिहा है बस इन्तजार में स्वाति किस दिवस हो राजी।।2।।
राजनीति पर चर्चा के हैं खतरे बहुत बड़े भारी।
हिटलर भले मिट गया लेकिन जन्मे नए नए नाजी।।3।।
हम फकीर हैं कहते कहते, सबको भीख मंगा डाली,
क्लास एक से विद्यालय में बंटती है रोटी भाजी।।4।।
राम और रहमान सभी हैं, मुफ्त मिले पर चंगे से।
दल कोई हो जन को लेकर, दलदल में है पहुँचा जी।।5।।
गूँज गई मंदिर में घंटी, प्रभु की याद दिला बैठी,
वरना 'विमल' विमल हो लिखता, इसके आगे कड़वा जी।।6।।

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