आप सबसे इश्क मेरा अलहदा।
आप जिस पर मर गए मैं हूँ फिदा।।1।।
अब जुए का खेलना ही तज दिया,
एक उसकी झलक पर रुपया बदा।।2।।
द्वार पर पापा रहे माँ छत खड़ी,
हमने खिड़की से किये कर्जे अदा।।3।।
शातिरों ने रातरानी छेंड़ दी,
मैं तो बेला के लिए दहशतजदा।।4।।
मैं खुशी से जान देता, माँगते!
हो हलक पर जब छुरी तो क्या सदा?।।5।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें