बुधवार, 6 मई 2020

मदिरा

इन्हें पियक्कड़ मत कहो, बड़ी आय का स्रोत।
मदिरा-सागर में बहे, अर्थशास्त्र का पोत।।1।।
चड्ढी फटी दिखाइ कर, मत करिये उपहास।
उतर कण्ठ से माधवी, हर लेती सब त्रास।।2।।
हमने चख पाई नहीं, क्या है इनका दोष।
मदिरा के बूते भरे, बड़े-बड़ों के कोष।।3।।
मदिरा के कारण विपुल, रचा गया साहित्य।
ग़ालिब सा उर्दू जगत, में चमका आदित्य।।4।।
मधुशाला की वजह से, बच्चन हुए प्रसिद्ध।
कविता से पैसा बने, सिखा गए यह सिद्ध।।5।।


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