यूँ तो मैं फोटोग्राफर नहीं हूँ किन्तु कभी कुछ दिख जाए तो मन मचल जाता है तो दिन के उजाले में सूखे हुए पत्तों पर मुझे यह महाशय बैठे हुए दिखाई दे गये तो मैंने भी कहा चलो दोस्ती शुरू| यह तितली के ही आस पास का कोई कीट है या तितली ही है मुझे नहीं पता| मगर मुझे आश्चर्य इस बात पर हुआ कि दूर से देखने पर यह तितली नहीं अपितु पत्तों में छिपा हुआ साँप या मेढ़क नजर आया| जय हो भगवान की जिन्होंने इसे ऐसा बनाया कि जब मैं मनुष्य होकर धोखा खा गया तो सामान्य प्राणी की क्या बिसात कि एक बार अपने इस भोजन को छोड़कर आगे न बढ़ जाए|
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तितली |
तितली |
तितली |
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लिंक शेयर करने के लिए धन्यवाद बड़े भाई| कृपया स्नेह बनाये रखें|
हटाएंखुदा की ये नियामत, कितनों की लाती होगी शामत
जवाब देंहटाएंसच कहा भाई, ब्लॉग पर आकर टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद।
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