गुरुवार, 4 दिसंबर 2025

भगवानहु ऐहै

काहे को मान गुमान करौं यदि मान गयो अपमानहु जैहै।
आजु भई जो भली या बुरी जेहि गारी दयी जयगानहु गैहै।
शीश पे हाथ धरे करौ सोच न साॅंझि भई तौ विहानहु ह्वैहै।
द्वेष  तजौ   उर  नेह धरौ  उर  नेह   धरे भगवानहु ऐहै।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें











हमारीवाणी

www.hamarivani.com
www.blogvarta.com