गुरुवार, 4 दिसंबर 2025

रजगंध पियारी

कैमी का छाॅंड़ि पिहानी बसे हम छॉंड़ि पिहानी बसे हैं अयारी।
पात की भाॅंति उड़ाति फिरे हम धाइ गये जित धाई बयारी।
भावी की बात विधाता को ज्ञात है जाने कहॉं अब होइ तैयारी।
बालपने जेहि भूमि फिरे वही गॉंव-गली-रजगंध पियारी।।
कैमी व अयारी- हरदोई जनपद के गाॅंव
पिहानी - हरदोई जनपद का नगर

भगवानहु ऐहै

काहे को मान गुमान करौं यदि मान गयो अपमानहु जैहै।
आजु भई जो भली या बुरी जेहि गारी दयी जयगानहु गैहै।
शीश पे हाथ धरे करौ सोच न साॅंझि भई तौ विहानहु ह्वैहै।
द्वेष  तजौ   उर  नेह धरौ  उर  नेह   धरे भगवानहु ऐहै।

हमारीवाणी

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