सोमवार, 9 जून 2025

घरवाली

जो घरवाली का कहा, मान न सकता मित्र।
उसे मिलें ससुराल से, चोटें बड़ी विचित्र।
चोटें बड़ी विचित्र, मिलें जो पूरी माने।
जोरू का है दास, सभी देते हैं ताने।
इसीलिए तू मान, कहे जो कुछ भी साली।
साली वश में होय, रहे वश जो घरवाली।।

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