कमनीय काया की प्रशंसा किये बिना बढ़े,
दुष्ट ध्यान भी न देता कह के चिढ़ायेंगी।
जिनको लड़ाने नैन नैन वो लड़ायेंगी ही,
आपसे न टाॅंका भिड़े बाप से भिड़ायेंगी।
कहॉं तक संयम की ध्वजा को उठाया जाये,
सावधान हो के राष्ट्रगान नहीं गायेंगी।
एक बार दो बार तीन बार छोड़ देंगे,
चौथी बार खा ही लेंगे खीर जो बढ़ायेंगी।।
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