कॅंटीली औ' कटीली का जो फर्क नहीं जानते हैं,
तर्क वही करते अर्क रेत से निकालते।
चाहते हैं मधुपर्क करना न चाहें वर्क,
तन खाये जर्क खाल बाल से निकालते।
जैसे कर्क कर्क की ही टॉंग खींच ग़र्क करें
बेड़ा, निज जाति का जनाजा ही निकालते।
बुद्धिमान वही हैं जो रार नहीं ठानते हैं,
झोंकते हैं हॉं में हॉं ही ना में ना निकालते।
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