मौन भली है मौन सी, मौन त्रिया भौकाल।
मार खाइये मौन हो, करिये नहीं बवाल।।
बाबा या कि फकीर हो, सब नारी के फन्द।
नारी जिनके सॅंग नहीं, उनके फाटक बन्द।।
मिले तरक्की रात-दिन, बने लला धनवान।
चहुंदिशि फैले कीर्ति नित, क्षण क्षण हो सम्मान।
गोरू हाॅंकति गुरु बने, चेला बेंचति तेल।
कलियुग मा सम्बन्ध की, लगी चतुर्दिक सेल।।
जिसको दें सन्देश हम, उसे समझ में आय।
वरना दल कविता मित्रवर, उसके प्रति अन्याय।।
सालों की पूजा करें, पत्नी होय प्रसन्न।
सीखें जो सिद्धान्त यह, सदा रहेंगे टन्न।।
मौन भली है मौन सी, मौन त्रिया भौकाल।
जवाब देंहटाएंमार खाइये मौन हो, करिये नहीं बवाल।।
वाह!!!!
क्या बात
हार्दिक आभार आदरणीया बहन
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय बन्धु
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