सोमवार, 5 फ़रवरी 2024

नारी जिनके संग नहीं

मौन भली है मौन सी, मौन त्रिया भौकाल।
मार खाइये मौन हो, करिये नहीं बवाल।।
बाबा या कि फकीर हो, सब नारी के फन्द।
नारी जिनके सॅंग नहीं, उनके फाटक बन्द।।
मिले तरक्की रात-दिन, बने लला धनवान।
चहुंदिशि फैले कीर्ति नित, क्षण क्षण हो सम्मान।
गोरू हाॅंकति गुरु बने, चेला बेंचति तेल।
कलियुग मा सम्बन्ध की, लगी चतुर्दिक सेल।। 
जिसको दें सन्देश हम, उसे समझ में आय।
वरना दल कविता मित्रवर, उसके प्रति अन्याय।। 
सालों की पूजा करें, पत्नी होय प्रसन्न। 
सीखें जो सिद्धान्त यह, सदा रहेंगे टन्न।।

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