उद्धव कमाधमाकर होली की छुट्टियों में बड़े उत्साहित होकर द्वारिकापुरी पहुँचे तो बड़ा हैरान-परेशान हो गए। न कहीं रंग न राग, न कोई समारोह न कोई फाग। अपने घर बाद में गए पहले कन्हैया के घर पर ही जा पहुँचे। 16108 रानियाँ अपने-अपने भवन में और कन्हैया उदास अपने महल के बरामदे में शून्य की ओर निहार रहे थे। जैसे ही उद्धव को अपनी ओर आते देखा हड़बड़ाकर खड़े हो गए। बोले, "ऐ! ऐ! उद्धव वहीं खड़े हो जाओ, पास मत आना।"
अब तो उद्धव और परेशान ठिठककर वहीं खड़ा हो गया, "भगवन्! क्या मुझसे कोई अपराध हो गया है? मुझे क्यों दुत्कार रहे हैं?"
भगवान बोले, "उद्धव क्या बतायें? अपराध तो मुझसे हो गया। सृष्टि निर्माण के समय जब मैं ब्रह्मा के रोल में प्राणियों का निर्माण कर रहा था तब मूल उत्पाद के साथ कुछ मल उत्पाद भी तैयार हो गए। ये मल उत्पाद मानव-मात्र के लिए बहुत हानिकारक थे। मैंने उन्हें शाप देकर निष्क्रिय कर दिया था। आजकल उन्हीं में से एक शापमुक्त होकर संसार भ्रमण पर निकल पड़ा है। ये सब उसी का प्रभाव है। कि तुम मेरे अभिन्न होते हुए भी दूर रहने को विवश हो।"
उद्धव ने पूछा, "हे! जनार्दन जब आपने उसे निष्क्रिय कर दिया था, तो वह सक्रिय कैसे हो गया?"
भगवान ने बताया, " उद्धव! यह प्रकृति का नियम है समस्या के साथ ही समाधान जन्म लेता है। मैंने उसे शाप के साथ वरदान भी दिया कि जब मनुष्य स्वयं भगवान की तरह नवीन सृष्टि में संलग्न हो जाएगा तब वह सक्रिय हो जाएगा। एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में गमन करते हुए अपना प्रभाव दिखाएगा और मनुष्यों को उनकी सीमाएं बताएगा। कुछ एक के प्राण भी लेकर जाएगा।"
उद्धव ने कहा, "भगवान तो क्या उपाय है?होली का त्यौहार क्या ऐसे ही बीत जाएगा?"
भगवान बोले, "सभी नेताओं व सरकारी-अर्धसरकारी संस्थाओं ने अपने-अपने होली समारोह रद्द कर दिए हैं। अगर अस्पताल नहीं जाना चाहते तो बिना समय गवांये घर जाओ और केवल फेसबुक और व्हाट्स एप पर होली मनाओ। हाँ टीवी देख सकते हो। कोई तुम्हारी तरफ बढ़े तो बीस फिट दूर ही रोक दो।"
उद्धव ने अंतिम प्रश्न किया, " भगवान ये मल उत्पाद है क्या जिससे आप इतना घबराये हुए हो? नाम बता दो प्लीज।"
भगवान मुस्कुराये और बोले, "उद्धव तुम बड़े भोले हो मीडिया पिछले महीने भर से उसके अलावा किसी और का नाम नहीं ले रहा है, और तुम हो कि हीहीही...."
इसीलिए पाठकों को मेरी ओर से होली की मौखिक हार्दिक शुभकामनाएं।