रविवार, 22 मार्च 2020

प्रस्तरेषु प्राणाः

बिना किसी तीज त्यौहार, फैमिली के साथ घर पर पिकनिक। 
जीवन में लिया है कभी ऐसा आनन्द नहीं न। 6 माह में कम से कम एक बार ऐसा ब्लॉक जरूर होना चाहिये। थोड़ी तकलीफ तो हुई बहुतों को, कोरौना जाए न जाए रेल की पटरियों ने, सड़कों ने और पर्यावरण ने आराम अवश्य किया। कुछ प्रदूषण कम हुआ वातावरण का भी और मन का भी। बच्चों ने आनन्द में सही खुलकर ताली पीटी, थाली पीटी तो हम भी प्रौढ़ावस्था छोड़कर गोता लगा गए बालपन में। भूल गए कि हम एक थकन व उदासी से भरी दुनिया में रहते हैं। गाड़ियों मोटरों व कारखानों के शोर से पशु पक्षियों ने भी निजात पायी होगी वे भी आनन्दित हुए होंगे। पेड़-पौधों ने #कोरौना वायरस को धन्यवाद दिया होगा कि आज उसकी वजह से ही उन्होंने कार्बन डाइऑक्साइड से छुटकारा पाया। उन्हें भी छुट्टी का अधिकार है। हम तो भूल ही गए थे "प्रस्तरेषु अपि प्राणाः भवन्ति"।
थोड़े दिन के लिए हिमालय की कंदरा में बसे सन्यासी हो जाएं। आओ एक तपस्या में संलग्न हो जाएं। मजबूरी में ही सही समाधिस्थ हों, 21 दिन में बुद्धत्व प्राप्त करें। इस संसार की निस्सारता को समझें। संसार दुखों का घर है, दुखों का कारण तृष्णा है, तृष्णा के नाश से दुःखों का नाश हो सकता है, अष्टांगिक मार्ग पर चलकर तृष्णा का नाश हो सकता है। घर पर रहें योगाभ्यास करें, योगाभ्यास से परहेज है तो अपने धर्मानुसार अपने ईश्वर, खुदा या गॉड किसी का भी ध्यान करें और उससे कष्टों को सहन करने की सामर्थ्य माँगें और प्राणिमात्र के कल्याण की कामना करें। आत्मानुशासन के अभ्यास का ऐसा अवसर फिर मिले न मिले, तो मत चूको चौहान। तुम्हें आँखों पर पट्टी बाँधकर कोरोना को सटीक निशाने पर लेकर परास्त करना है।
चाहें तो घर को जेल में बदल लें और स्वयं को यह सोचकर स्वयं को यातना दें कि हाय! व्यापार, पढ़ाई कैरियर का नुक्सान हो रहा है। अरे! भाई लाभ हानि जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ। तुम्हारे हाथ में कुछ है तो कर्म। 
चुनाव करना है कि एकांतवास को जेल समझना है आध्यात्मिक उन्नति व दैवीय शक्ति के अर्जन का अवसर।

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