चाहता हूँ कि
प्रेम न करूँ उसे।
समस्या अनेक,
उम्र, जाति, धर्म,
व्यवसाय, रँग-रूप,
धन-दौलत
और भी बहुत कुछ।
असामान्य असाधारण,
किन्तु चाहने से क्या?
कोई जोर नहीं,
जो होना था हो गया।
अनचाहे मैं कहीं खो गया।
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (30-04-2019) को "छल-बल के हथियार" (चर्चा अंक-3321) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'