1- जब मैंने पहली बार अपनी कनपटी पर,
सफेद बाल देखा।
सफेद बाल देखा।
तो भूल गया सुषमा, सुशीला, सुरेखा।
वक्त का मैसेज ज्यों गाल पर चाँटा,
यू हैव यूज्ड फिफ्टी परसेंट ऑफ योर डाटा।
2- चलो थोड़ा सा ही सही भ्रष्ट हो लें,
बनाकर पार्टी सन्तुष्ट होलें|
न्यायालय कहाँ रोकता है तुम्हें,
राजनीति में उत्कृष्ट हो लें|
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-03-2017) को "कविता का आथार" (चर्चा अंक-2919) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सादर धन्यवाद, आदरणीय मैं कृतार्थ हो गया कि आपने मेरी पंक्तियों को इस योग्य पाया|
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