सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

न मिली

कभी मकां बदला, कभी दुकां बदली।
जिस गली में वो था वही गली न मिली।
तुम भी मेरी जमात के लगते हो प्यारे।
कभी खोपड़ी न हिली कभी कमर न हिली।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें











हमारीवाणी

www.hamarivani.com
www.blogvarta.com