पुरकश वबाल करता है।
आइना सवाल करता है।।
अच्छे दिन आ जाने का।
बकरा ख्याल करता है।।
साइकिल चढ़ कि हाथी चढ़।
क्योंकर मलाल करता है।।
सबके हाथों छूरे हैं।
हर इक हलाल करता है।।
कीचड़ में कि पानी में।
कमल ही कमाल करता है।।
वक्त कम है प्रभु शरण ले।
सबकुछ त्रिकाल करता है।।
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