सोमवार, 9 जून 2025

घरवाली

जो घरवाली का कहा, मान न सकता मित्र।
उसे मिलें ससुराल से, चोटें बड़ी विचित्र।
चोटें बड़ी विचित्र, मिलें जो पूरी माने।
जोरू का है दास, सभी देते हैं ताने।
इसीलिए तू मान, कहे जो कुछ भी साली।
साली वश में होय, रहे वश जो घरवाली।।

मंगलवार, 3 जून 2025

एक बड़ा घर

एक बड़ा सा गॉंव का घर,
उन्नत मस्तक चूमे अम्बर,
जिसमें लग जाते सौ बिस्तर,
पूरे जवार में प्रबल प्रखर।
परिवार बढ़ा फैला लश्कर,
अब घर में हैं दर ही दर,
ऊॅंचाई घटी घट गया असर,
सिसक सिसककर करता बसर।

हमारीवाणी

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