शेयर मार्केट चढ़ रही, लेकिन मैं बेहाल।
खुले नहीं स्कूल हैं, कोरोना की चाल।।1।।
ले न सके हैं कोर्स या, मोबाइल कुछ बन्धु।
बच्चे उनके भी हुए, बिना पढ़े गुण-सिन्धु।।2।।
अजब समझ सरकार की, करती खूब कमाल।
बसें भरी हैं ठसाठस, ट्रेनें करें सवाल।।3।।
रोगी जब घटने लगे, बिना दवा-वैक्सीन।
क्यों खतरों की लोग हैं, बजा रहे फिर बीन।।4।।
कोरोना ने कम किया, मित्र! देश को तंग।
इसके भय से हो गये, बच्चे-बूढ़े दंग।।5।।
छोड़ तुम्हारे शहर को, बढ़ा न मेरे गाँव।
कोरोना को मारते, पटक-पटककर पाँव।।6।।