जिन्हें घृणा बिखरानी जग में उन्हें घृणा बिखराने दो|
अपना उर है प्रेम खजाना लुटता है लुट जाने दो|
भले-बुरे से जग निर्मित है, साधू हैं शैतान भी हैं|
देवासुर संग्राम सतत यदि ठनते हैं ठन जाने दो||1||
रातें अनगिन झेलीं हमने कोई नई रात है क्या?
सदा म्लेच्छों टकराये कोई नई बात है क्या?
जहाँ गये नफरत फैलाई हुआ कलेजा ही पत्थर,
पत्थर उनके हाथ में होना कोई नई बात है क्या?
९१९८९०७८७१
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
अपना उर है प्रेम खजाना लुटता है लुट जाने दो|
भले-बुरे से जग निर्मित है, साधू हैं शैतान भी हैं|
देवासुर संग्राम सतत यदि ठनते हैं ठन जाने दो||1||
रातें अनगिन झेलीं हमने कोई नई रात है क्या?
सदा म्लेच्छों टकराये कोई नई बात है क्या?
जहाँ गये नफरत फैलाई हुआ कलेजा ही पत्थर,
पत्थर उनके हाथ में होना कोई नई बात है क्या?
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