शमा जलने से डर जाती,
पतिंगे की सँवर जाती।
पता है इश्क का खतरा,
मगर वो इश्क कर जाती।।1/11/2019 FB
बहुत बेचैन थी साकी,
न कोई मयकदे आया,
न मेरे पास आती तो,
सुराही ले किधर जाती।|1/11/2019 FB
सजे थे शूल करतल में,
बचाने थे सुमन कोमल।
जो करता पीर की चिंता,
तो फिर माला बिखर जाती।।2/11/2019 FB
खुली खिड़की नहीं होती,
तो होती बात क्या उससे,
जो रुकता द्वार खुलने तक,
चली सारी उमर जाती।।2/11/2019 FB
बसे जिस आँगने जाकर,
लगायी आग नफरत की।
करें दावा मुहब्बत का,
बुरी आदत अखर जाती।।3/11/2019 FB
जहर बो कर हवाओं में,
पवन चाहूँ बसन्ती सी,
ये सपना देखता हूँ जब,
तो हर सूरत है मर जाती।।4/11/2019 FB
फँसी थी मन में जो मछली,
कँटीली और जहरीली,
उगलता या निगल जाता,
'विमल' को हो जहर जाती।|4/11/2019 FB
लिंक शेयर करने के लिए धन्यवाद बड़े भाई।
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