कुछ दिन चाँद रहेगा प्यारे, कवियों की कविताओं में।
एक राष्ट्रनायक का चमचम, कुंजों और लताओं में।
हार-जीत के चर्चे होंगे, टीवी या अखबारों में।
चाहें खुशियाँ चाहें गम हों, रौनक होगी बारों में।
अपने-अपने ढंग से सारे, लगे हुए हैं वाचन में,
लेकिन तय है अपना जलवा, कायम रहा सितारों में।
शंका हो क्या आर्यभट्ट वाराहमिहिर श्रीधर में,
आओ चलकर पूँछे हमसब, चौबिस अवतारों में।
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
एक राष्ट्रनायक का चमचम, कुंजों और लताओं में।
हार-जीत के चर्चे होंगे, टीवी या अखबारों में।
चाहें खुशियाँ चाहें गम हों, रौनक होगी बारों में।
अपने-अपने ढंग से सारे, लगे हुए हैं वाचन में,
लेकिन तय है अपना जलवा, कायम रहा सितारों में।
शंका हो क्या आर्यभट्ट वाराहमिहिर श्रीधर में,
आओ चलकर पूँछे हमसब, चौबिस अवतारों में।
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (10-09-2019) को "स्वर-व्यञ्जन ही तो है जीवन" (चर्चा अंक- 3454) पर भी होगी।--
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने व टिप्पणी करने के लिए सादर आभार
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