अम्बर से उतरी रजनी तू,
घूंघट घन तो चेहरा चाँद।
प्रेयसि तनिक उजाला कर दे।
रूप राशि दर्शन का वर दे।
छवि माध्वी मन पीने वाला।
छिपा न अपने तन का प्याला।
घूंघट घन तो चेहरा चाँद।
प्रेयसि तनिक उजाला कर दे।
रूप राशि दर्शन का वर दे।
छवि माध्वी मन पीने वाला।
छिपा न अपने तन का प्याला।
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