उत्तर प्रदेश में टी ई टी के रिजल्ट घोषित हो गये हैं और सरकार एक बार फिर बेरोजगारों से मजाक करने के मूड में है खबर है कि एक दो दिन में विज्ञापन जारी किये जायेंगे फिर आवेदन माँगकर अध्यापकों की भर्ती की जायेगी एक आवेदक ३ जिलों से आवेदन कर सकता है। मेरी समझ में यह नहीं आता कि आखिर छल करने के लिये सरकार को बेरोजगार ही मिले थे।अव्वल तो एक विद्यार्थी जिसने ग्रेजुएट की परीक्षा पास करके बी एड या बी टी सी की एन्ट्रेन्स परीक्षा पास करके उसने बाकायदा ट्रेनिंग ली है फिर अध्यापक होने की योग्यता उसने हासिल की है। उसका टी ई टी के नाम पर एक और इम्तहान ही गलत है। दर असल टी ई टी की परीक्षा भारत की सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर एक ऐसा करारा तमाचा है जो हमारे देश के अकल के अन्धे नीति निर्धारकों को महसूस नहीं होता।
सरकार के द्वारा इस परीक्षा का आयोजन यह बताता है कि हमारे देश के नीति नियन्ता एक ऐसी शिक्षा व परीक्षा व्यवस्था देने में नाकामयाब रहे हैं जिसमें से होकर अच्छे स्टूडेन्ट बाहर निकलें ताकि बार बार उनकी परीक्षा की आवश्यकता ही न रहे तथा संस्थानों के द्वारा जारी सर्टीफिकेटों पर विश्वास किया जा सके।
वास्तव में शिक्षा व्यवस्था इस कदर चरमरा गई है कि आज बिना एक भी दिन स्कूल में जाये हुए भारत खासकर यू पी में कोई भी डिग्री हासिल की जा सकती है। ऐसे में क्या गारंटी है कि इस परीक्षा के बाद अच्छे अध्यापक विद्यालयों को हासिल होंगे। वास्तव में सरकार बेरोजगारों से कमाई करने में लगी है आवेदन फार्म भरवाने के नाम पर। जितनी ज्यादा बार आवेदन फार्म भरे जायेंगे उतनी बार आवेदकों से शुल्क वसूला जायेगा।
अच्छा होगा कि एक ऐसी ईमानदार शिक्षा परीक्षा प्रणाली विकसित की जाये जिससे अच्छे विद्यार्थी बाहर निकलें जिनकी अंकतालिकाओं पर विश्वास किया जा सके और उन्हें बार बार परीक्षाओं से न गुजरना पड़े। फिलहाल टी ई टी के बारें में इतना चाहूँगा कि अब जो पास हो गये हैं उनसे कोई आवेदन न भरवाकर मेरिट के आधार कौंसिलिंग करा ली जाये और क्रम से आवेदकों की च्वाइस पूँछ्कर उन्हें जिले व स्कूल आवंटित कर दिये जायें तो सरकार की बड़ी मेहरबानी होगी।