गुरुवार, 28 नवंबर 2024

प्रेम में

ऐसा भी क्या सुना दिया तुमने।
ताड़ तिल का बना दिया तुमने।
प्रेम को मन्त्र सा छिपाया था,
सारी महफ़िल जना दिया तुमने।
प्यार में डर से डर नहीं लगता।
जान जाने पे कर नहीं लगता।
लोग हम पर उठायेंगे उॅंगली,
थोड़ा भी बेहतर नहीं लगता।
भूल जाओ जो शूल बोये हैं।
शूलों संग हम सुमन से सोये हैं।
प्रेम में संग जब हॅंसे हम तुम,
याद होगा कि संग रोये हैं।

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

अजाब

लब पर है तेरा नाम और तस्वीर ख्वाब में।
बस इतना लिख सका हूॅं खत के जवाब में।।
हर ओर रोशनी की चाहत का शोर है,
हमने शमा छुपा ली दिल के हिजाब में।।
सोना खरीदते हैं बहुत जॉंच-परख कर।
कुछ बात देख ली है हमने जनाब में।।
दूभर उधर निकलना दूभर इधर भी रहना,
ठहरूॅं कहाॅं पे कैसे उलझा हिसाब में।।
हर ओर आईने हैं और आईने में तुम,
मैं खुद को खो चुका हूॅं कैसे अजाब में।।

शनिवार, 28 सितंबर 2024

बैंगन गीला नहीं हुआ

कितना सारा जल बिखराया,
बैंगन गीला नहीं हुआ।
बहुत अधिक हल्दी निपटाई,
चूना पीला नहीं हुआ।
कुतिया की दुम सीधी होगी,
बीड़ा मैंने उठा लिया।
रोयाॅं रोयाॅं नोच लिया है,
बन्धन ढीला नहीं हुआ।
अर्द्धशतक तो बिता दिया है,
धरती सिर पर उठा सकूॅं।
रक्त रक्त ही बना रहा है,
नभ सा नीला नहीं हुआ।
चाहे जितनी राय मुझे दो,
जड़वत् जीता रहा सदा,
घोल-घाल कर तला तवे पर,
पत्थर चीला* नहीं हुआ।
(चीला - उत्तर प्रदेश में बेसन का बना कागज सा पतला व्यंजन)

शनिवार, 14 सितंबर 2024

मैडम रीटा

मैडम रीटा कर गयीं, हिन्दी को कंगाल।
ऋता शब्द का अर्थ तो, है जी का जंजाल।
है जी का जंजाल, कहें सीता को शीता।
अब ठर्रे को छोड़, आदमी बीयर पीता।
राम जुहारी छोड़, कर रहा टाटा टीटा।
हिन्दी दिन का ढोंग, करो मत मैडम रीटा।।

हमारीवाणी

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