पत्ता पत्ता बूटा बूटा झड़ जायेगा एक दिन तय है।
नीरस डाल छोड़ कर पक्षी उड़ जायेगा एक दिन तय है।।
सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जप जप, काया माया बसी रही मन।
धर्म-कर्म का मधुर फलाफल सड़ जायेगा एक दिन तय है।।
अपने और पराए गिन गिन, मन को मथते रहते हैं हम।
छल प्रपंच का हर मंदराचल, अड़ जायेगा एक दिन तय है।।
सबको विन्डो सीट चाहिये, सबके अपने-अपने कारण,
लड़ते लड़ते चैन हृदय में, पड़ जायेगा एक दिन तय है।।
चिन्तन मेरा बिल्कुल पिछड़ा, जैसे दादा जी का बक्सा।
अगड़ी सोचों की नजरों में, गड़ जायेगा एक दिन तय है।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें