गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024

अजाब

लब पर है तेरा नाम और तस्वीर ख्वाब में।
बस इतना लिख सका हूॅं खत के जवाब में।।
हर ओर रोशनी की चाहत का शोर है,
हमने शमा छुपा ली दिल के हिजाब में।।
सोना खरीदते हैं बहुत जॉंच-परख कर।
कुछ बात देख ली है हमने जनाब में।।
दूभर उधर निकलना दूभर इधर भी रहना,
ठहरूॅं कहाॅं पे कैसे उलझा हिसाब में।।
हर ओर आईने हैं और आईने में तुम,
मैं खुद को खो चुका हूॅं कैसे अजाब में।।

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