इस चुनावी समर का हथियार नया है।
खत्म करना था मगर विस्तार किया है।
जिन्न आरक्षण का एक दिन जाएगा निगल,
फिलहाल इसने सबपे जादू झार दिया है।
अब लगा सवर्ण को भी तुष्ट होना चाहिए।
न्याय की सद्भावना को पुष्ट होना चाहिए।
घूम फिर कर हम वहीं आते हैं बार बार,
सँख्यानुसार पदों को संतुष्ट होना चाहिए।
कृपया पोस्ट पर कमेन्ट करके अवश्य प्रोत्साहित करें|
खत्म करना था मगर विस्तार किया है।
जिन्न आरक्षण का एक दिन जाएगा निगल,
फिलहाल इसने सबपे जादू झार दिया है।
अब लगा सवर्ण को भी तुष्ट होना चाहिए।
न्याय की सद्भावना को पुष्ट होना चाहिए।
घूम फिर कर हम वहीं आते हैं बार बार,
सँख्यानुसार पदों को संतुष्ट होना चाहिए।
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बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआभार बन्धु
हटाएंसादर धन्यवाद बड़े भाई|
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