सीता जी के जन्म को लेकर बड़ा विवाद है भाई, कोई उन्हें जनकसुता कहता है तो कोई कोई उसे रावण की पुत्री तक सिद्ध करते हैं कोई उसे ऋषियों के रक्त से उत्पन्न बताते हैं अब हमारे उप मुख्यमंत्री उन्हें टेस्ट ट्यूब बेबी बता रहे हैं। अरे भाई इतना क्यों नहीं समझते जो सत्ता में पहुँच जाते हैं लोग उनकी उबासियों पर भी तर्क वितर्क करते हैं। सो आप तो चुप ही रहिये ये काम तो हमारे जैसे अज्ञानियों को सौंप दीजिए। साधो आपको पता है जब गरुड़ महाराज को अहंकार हुआ और उन्होंने ब्रह्म के बारे में जानना चाहा तो भगवान शंकर ने उन्हें कहा कि केवल कागभुशुण्डि जी आपकी शंका का समाधान करने में समर्थ हैं। अब पार्वती जी बड़ा अचंभित । क्या कागभुशुण्डि जी शंकर जी से ज्यादा जानते हैं? उन्होंने भगवान से कहा नाथ ब्रह्म का रहस्य तो आप भी बता सकते थे, तो आपने गरुड़ जी को 2000 किमी क्यों दौड़ा दिया ? शंकर जी ने बस एक वाक्य कहा खग जाने खग ही की भाषा।अब बन्धु अगर कल कोई विदेशी वैज्ञानिक हमें समझा दे कि सीता जी टेस्ट ट्यूब बेबी थीं हम मान लेंगे वरना आप क्या और आपकी औकात क्या? हम तो रामसेतु को राम निर्मित इसलिये मानते हैं क्योंकि नासा के चित्र बताते हैं कि वहाँ एक पुलवरना हम तो यह भी नहीं मानते कि कोई पुल भी है।भला हो बख्तियार खिलजी का जिसकी वेवकूफी से कुछ प्राचीन साहित्य बचा रह गया जला नहीं तो हम उन पुस्तकों के माध्यम से इतना ही मान लेते हैं कि भारत एक प्राचीन देश है। विदित हो बख्तियार ख़िलजी के नेतृत्व में नालन्दा विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में लगाई गई आग से 4 माह तक पुस्तकें जलतीं रहीं थीं।हमारी तो वृत्ति हो गयी है कि हम अतीत के गौरव की चर्चा तो करते हैं किन्तु जब उस गौरव को मूर्त स्वरूप देने का अवसर आता है तो हम वामपंथी हो जाते हैं और भारतीय दर्शन व विज्ञान की खिल्ली उड़ाते हैं। सो साधो ये देश ऐसे ही रहेगाकल्पना में खोया हुआ आत्ममुग्ध इसे कोई सुझाव देना है तो विदेशी यूनिवर्सिटीज की शरण लो। तुम्हारी बात नहीं सुनेंगे ये। इन्हें यह भी बताना नादानी है गुरुत्वबल की खोज न्यूटन से कई वर्ष पहले हो चुकी थी। ऋग्वेद के एक सूत्र के अनुसार सभी आकाशीय पिण्ड परस्पर बल लगाते हुए एक दूसरे को सहयोग की भावना से रोके हुए हैं। मेरी कोई माने न माने मेरी बला से। मैं न भाजपाई हूँ और न उपमुख्यमंत्री।