डॉ0 अनंतराम मिश्र अनंत जी नदी विषयक ज्ञान के महान वेत्ता हैं। उन्होंने अपने अथक परिश्रम से सप्तसिंधु के रूप में साहित्य जगत को एक अमूल्य निधि प्रदान की है। एक सुधी व जिज्ञासु पाठक के लिए सप्तसिंधु वास्तव में उत्तर भारत की सात नदियों सरस्वती,शतद्रु,परूष्णी,असिक्नी,वितस्ता,विपाशा तथा सिन्धु के विषय में जानकारी का अद्भुत खजानाहै।
षोडष प्रवाहों में विभक्त यह पुस्तक भारतीय संस्कृति में प्रचलित सोलह संस्कारों व श्रॄंगारों का स्मरण करा देती है।
आत्मकथात्मक शैली में रचित यह महाकाव्य उपरोक्त नदियों के ऐतिहासिक, भौगोलिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक व अर्थशास्त्रीय आदि अनेक पक्षों पर प्रकाश डालता है।
डॉ०अनन्त जी हिन्दी के साथ संस्कृत भाषा के भी विद्वान हैं इसकी झलक उनकी इस रचना में आद्योपांत दिखाई देती है।
षोडष प्रवाहों में विभक्त यह पुस्तक भारतीय संस्कृति में प्रचलित सोलह संस्कारों व श्रॄंगारों का स्मरण करा देती है।
आत्मकथात्मक शैली में रचित यह महाकाव्य उपरोक्त नदियों के ऐतिहासिक, भौगोलिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक व अर्थशास्त्रीय आदि अनेक पक्षों पर प्रकाश डालता है।
डॉ०अनन्त जी हिन्दी के साथ संस्कृत भाषा के भी विद्वान हैं इसकी झलक उनकी इस रचना में आद्योपांत दिखाई देती है।