चाँदनी की भाँति बिखरे हुस्न
की कारीगरी,
जिस्म को छूती नही है पर जला देती है दिल।
प्यालियाँ पलकें उठाये
हैं अजब आशा लिये,
खुद नहीं हिलती जरा भी पर हिला देती
हैं दिल।
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