गुरुवार, 4 दिसंबर 2025

रजगंध पियारी

कैमी का छाॅंड़ि पिहानी बसे हम छॉंड़ि पिहानी बसे हैं अयारी।
पात की भाॅंति उड़ाति फिरे हम धाइ गये जित धाई बयारी।
भावी की बात विधाता को ज्ञात है जाने कहॉं अब होइ तैयारी।
बालपने जेहि भूमि फिरे वही गॉंव-गली-रजगंध पियारी।।
कैमी व अयारी- हरदोई जनपद के गाॅंव
पिहानी - हरदोई जनपद का नगर

भगवानहु ऐहै

काहे को मान गुमान करौं यदि मान गयो अपमानहु जैहै।
आजु भई जो भली या बुरी जेहि गारी दयी जयगानहु गैहै।
शीश पे हाथ धरे करौ सोच न साॅंझि भई तौ विहानहु ह्वैहै।
द्वेष  तजौ   उर  नेह धरौ  उर  नेह   धरे भगवानहु ऐहै।

सोमवार, 22 सितंबर 2025

मीटर और फीते


हमारे मित्र कवि ने लिखा कि मीटर पर ध्यान न दें आजकल फीते से लिख रहे हैं तो उनको मेरी प्रतिक्रिया

हम तो हथेली से नाप लेते हैं,
बित्त दो बित्त।
अधिक हुआ तो हाथ आजमा लेते हैं।
नापना हो कोई बहुत छोटी चीज,
तो बाल, नाखून और उंगलियॉं भी,
नापने का काम करती हैं।
मीटर और फीते बहुत बाद में आये,
हमने ऑंखें बन्द कईं,
घुसे ध्यान में और नाप लीं,
ब्रह्माण्ड में नक्षत्रों की दूरियॉं।
कविता तो भावनाओं से नाप लेते हैं,
आपको पूरे सौ नम्बर देते हैं।
विमल

सोमवार, 9 जून 2025

घरवाली

जो घरवाली का कहा, मान न सकता मित्र।
उसे मिलें ससुराल से, चोटें बड़ी विचित्र।
चोटें बड़ी विचित्र, मिलें जो पूरी माने।
जोरू का है दास, सभी देते हैं ताने।
इसीलिए तू मान, कहे जो कुछ भी साली।
साली वश में होय, रहे वश जो घरवाली।।

हमारीवाणी

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