मंगलवार, 29 नवंबर 2016

कदमों में चाँद

जिसे देखकर खिल उठे दिल।
ऐसा सबको कहाँ मिलता है।
चाँद नभ में तो रोज उगता है,
कदमों में कहाँ मचलता है।
कभी करीब होकर मुझे देखो तो,
पेड़ लगाने पर बाग उछलता है ।
©विमल कुमार शुक्ल'विमल'

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