17/09/2016
आँख से आँसू खुशी का ढल पड़ा।
बाप के कदमों पे बेटा चल पड़ा।।
कारवाँ किस घाट पर लेगा पनाह,
ये नया अरमान दिल में पल पड़ा।।
ख्वाहिशें दर ख्वाहिशें हैं बेशुमार,
भाग्य पथ का एक पादप फल पड़ा।।
स्वप्न पूरे हों कहाँ सबका नसीब,
शीश पर का भार सारा गल पड़ा।।
लग नहीं जाये नजर उसको कहीं,
खौफ से मस्तक पे मेरे बल पड़ा।।
आप भी चाहो तो प्रभु से माँग लो,
चमक जाएगा सितारा डल(dull) पड़ा।।
इस ब्लॉग के अन्य पृष्ठ
शनिवार, 17 सितंबर 2016
सोमवार, 5 सितंबर 2016
फेसबुक 4
ये मेरी अत्यधिक छोटी छोटी कवितायेँ वे हैं जो
मैंने जब तब फेसबुक पर व्यक्त कीं हैं|
10
17/01/2015
आओ अलाव जलायें।
रिश्तों की बर्फ पिघलायें।
सर्द मौसम है सर्द हैं हवाएं।
हम मुश्किलों को उनकी औकात समझाएं।
11
17/03/2015
मेरी भूख, तुम्हारी प्यास।
आओ मेंटें, मिलकर त्रास।
मेरा दिन औ' तेरी रात।
सदा चलेगी इतनी बात।
12
18/03/2015
सजन तुम्हारा रूठना, फिर मेरी मनुहार।
मेरे तेरे बीच में इतना ही संसार।
तुम्हारे गुलाबी गाल पर ये kiss का कैसा निशान है।
एक होंठ मेरा और एक होंठ तेरा है।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)