मेरी ये अत्यधिक छोटी छोटी कवितायेँ वे हैं जो मैंने
जब तब फेसबुक पर व्यक्त कीं हैं|
1
2/3/2014
ठंड है तो क्या? रजाई भी।
मर्ज है तो क्या? दवाई भी।
बच कर रहियेगा सरकार आप की,
साथ में कांग्रेस? लुगाई भी।
2
3/3/2014
चाय में शक्कर नहीं डाला करो,
मुस्कुराकर सामने प्याला करो।
अक्स तेरा दे रहा है तृप्ति जब,
क्या जरूरी दूध भी डाला करो।
3
4/6/2014
चाहता हूँ प्रेम की नदी होना,
अल्प जीवन में समूची सदी होना,
रेत में मधुगंध की भावना जागी,
यदि मिले पारस बनूं सोना|