शनिवार, 13 अक्टूबर 2012

सपने


सपनों का क्या वे बेटिकट आते हैं, बेधड़क और अनधिकार बुद्धि के क्षितिज पर इन्द्रधनुष की तरह छा जाते हैं। जिनकी सतरँगी छवि मन मोह लेती है और कहती है कि आओ मुझे छू लो और कैद कर लो मुझे और कैद कर लो अपनी स्मृति में बना लो जीवन को यथार्थ में मेरे सा बहुरँगी दीप्तियुक्त। किन्तु सपनों के महल हवा में खड़े नहीं होते विशेषकर जागृत अवस्था में देखे गये स्वप्न। इसके लिये सावधानी से कदम बढ़ाना पड़ता है, यत्न करना पड़ता है सम्पूर्ण सामर्थ्य भर और कर्नी पड़्ती है प्रतीक्षा जब तक भर न जाये घड़ा प्रयासों का। मनुष्य चाहता है अलादीन का चिराग, घिसा जिन्न हाजिर और थमा दे जिन्न को अपनी अभिलाषाओं की लिस्ट जिसे जिन्न पूरा करता रहे और लिस्ट हनुमान की पूँछ की तरह बढ़ती रहे। ये सब किस्सों की बातें हैं यथार्थ में ऐसा नहीं होता।

यथार्थ में मनुष्य सपनों का महल बनाने के लिये ईंटें इक्ट्ठा करता है, तो सीमेंट नहीं मिलती, सीमेंट मिलती है तो रेत नहीं मिलती, रेत मिलती है तो लोहा व मौरंग नहीं। सब इकट्ठा हो जाये तो योग्य सहयोगी जन सुलभ नहीं होते। योग्य सहयोगी जन सुलभ हों तो सुचिंतित योजना के अभाव में सम्पूर्ण निर्माण सामग्री व्यर्थ है।
योजना  व्यक्ति को अपनी सुविधा व सामर्थ्य के आधार पर तय करनी पड़ती है। उधार ली गयी योजना व्यक्ति को पग पग पर झटके देती है। निजी सुविधा व सामर्थ्य की उपेक्षा कर मनुष्य मार्ग पर कुछ दूर चलता है फिर अपने स्थान पर लौट आता है तथा समय व साधन का अपव्यय करता है। समाज का अधिकाँश अपना जीवन ऐसी ऊहापोह में ही बिता देता है और पछताता है। आप क्या चाहते हैं फैसला आप पर है। ध्यान रहे स्वयं को २४ कैरेट सिद्ध करना है तो तपना पड़ेगा, स्वयं में हीरे की चमक जगानी है तो कटना पड़ेगा, हाँ इतना जरूर है कि तब बाजार में बहुत कम लोग आपका मूल्य लगाने का साहस करेंगे और आप बिकेंगे भी देर से क्योंकि स्टील का बरतन कोई कभी भी खरीद कर उसमें पानी पी सकता है किन्तु सोने के कटोरे में शेरनी का दूध पीने का साहस विरले ही कर सकते हैं जिनकी आँखों में सोने की चमक झेलने की तथा शेरनी से आँखें मिलाने की क्षमता हो।
सोने की चमक उनमत्त कर देती है और शेरनी का दर्शन अँगघात कर देता है। जिनका विवेक दृढ़ होता है, जिनकी सत्य पर अडिग आस्था होती है वे ही ऐसे खतरों से खेलते हैं उन्हें न तो मृत्यु से भय लगता है, न ही उनके जीवन की कोई उपलब्धि बहुत बड़ी होती है। उनके लिये हर उपलब्धि सीढ़ी के एक पायदान की तरह होती है, जिसे चरण स्पर्श दे वे अगले पायदान पर जा खड़े होते हैं। यह क्रिया निरन्तर व अथक चलती रहती है। यह महापुरुषों की निशानी है। सामान्य मनुष्य के लिये तो ’तेते पाँव पसारिये जेती लाँबी सौर’ का अनुपालन ही श्रेयस्कर है अन्यथा स्वप्न हवाहवाई सिद्ध होंगे। यहाँ प्रश्न चादर के विस्तार और पैर फैलाने का नहीं है अपितु सीमित चादर के बहुआयामी उपयोग का भी है। अब ओढ़ने की
चादर से शामियाना बनाने का स्वप्न देखेंगे तो यह निश्चय ही मूर्खतापूर्ण होगा। वैसे ऐसा स्वप्न देखने में कोई त्रुटि नहीं है क्योंकि आशा व विश्वास में बहुत बड़ी सामर्थ्य होती है जो असंभव को संभव बना देती है। चींटी का स्वयं का भार कितना होता है तथा वह कितना भार ढो लेती है। मकड़ी अपने शरीर के अनुपात में कितना विस्तृत सुनियोजित जाल बुन लेती है। चिड़िया तिनका तिनका एकत्र कर अपना सुन्दर नीड़ रच लेती है। सामान्यतः ये बड़े उबाऊ कार्य प्रतीत होते हैं। इस ऊब पर विजय ही तो धैर्य है जो स्वप्न पूर्ति का प्रथम साधन है।
आप प्रश्न उठायेंगे कि आपके पास असीम धैर्य है तो क्या आप चलनी में पानी भर सकते हैं। तो मित्रवर इसका उत्तर हाँ में है। आपको तब तक धैर्य रखना पड़ेगा जब तक पानी बर्फ में बदल न जाये या फिर जलीय लवण छिद्रों को बन्द न कर दें। अगर आप चलनी में दूध रखना चाहते हैं तो आपको तब तक धैर्य रखना पड़ेगा जब तक दुग्ध वसा छिद्रों में अवरोध न पैदा कर दे। वैसे ये व्यर्थ के प्रश्न हैं किन्तु फिर भी यदि किसी में ऐसा धैर्य है तो वह सपनों को अवश्य साकार करेगा।
प्रायः व्यक्ति अधीरता व लालच के वशीभूत होकर "आधी छाँड़ि सारी पर धावै, सारी मिलै न आधी पावै" की गति को प्राप्त होता है। यह अस्थिर चित्त का द्योतक है। चित्त की अस्थिरता के चलते व्यक्ति भूमि के भिन्न भिन्न स्थानों पर खुदाई तो बहुत करता है पर एक स्थान पर केन्द्रित न होने के कारण कुआँ नहीं खोद पाता है और प्यासा रह जाता है।
एक बात और सपनों का जंगल मस्तिष्क पर हावी न हो उनकी बेदर्दी से काट छाँट की जाती रहे तभी स्वप्न सार्थक हो सकते हैं। सुचिन्तित योजना, धैर्य, साहस, लक्ष्य केन्द्रितता से दुष्कर स्वप्न भी सुकर हो जाता है। रही सामर्थ्य की बात वह परिवर्तनशील व विकास शील होती है। दूसरे एक अच्छी योजना कम सामर्थ्य वाले के लिये उपयुक्त है और एक खराब योजना अधिक सामर्थ्य वाले के लिये भी अनुपयुक्त होती है तो उठें और सपनों को पूरा करें।


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