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मंगलवार, 14 नवंबर 2023

यूडाइस+ पर फीडिंग की समस्या

पिछले वर्ष से कक्षा 1 से 12 के छात्र छात्राओं का रिकॉर्ड यूडाइस+ पर फीड किया जा रहा है। चूंकि पिछले वर्ष सभी बच्चों को नये सिरे से फीड करना था अतः कोई समस्या नहीं हुई। परन्तु इस वर्ष आप बच्चों की फीडिंग दो तरह से कर सकते हैं। प्रथम जिन बच्चों को सत्र 2022-23 में फीड किया था उन्हें अपग्रेड करके। दूसरे जो छात्र बाहर से आये हैं उनका पेन pen यानी परमानेंट एजूकेशन नम्बर सर्च करके उन्हें अन्य विद्यालय से इम्पोर्ट करके। पेन को आधार व जन्मतिथि की सहायता से सर्च करने की व्यवस्था साइट पर है।
सिद्धान्ततः कोई त्रुटि नहीं है किन्तु व्यवहार में बड़ी कठिनाई है।   
जो बच्चे कहीं नहीं पढ़े हों कक्षा 1 में उन्हें सीधे फीड कर सकते हैं अन्य कक्षाओं में इम्पोर्ट करना ही पड़ेगा।
मेरी और मेरे जैसे कई लोगों की समस्या यह है कि जो बच्चे 2021-22 या उससे पूर्व के वर्षो में कक्षा 5 उत्तीर्ण हुए या उनकी उम्र अधिक हो जाने पर भी उन्होंने निचली कक्षा में कहीं प्रवेश नहीं लिया उनको साइट पर कैसे फीड किया जाए। कोरोना के चलते तमाम बच्चे प्रवेश से वंचित रहे या स्वयं को विद्यालय में प्रवेश के लिए तैयार नहीं कर पाए। कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं जिन्होंने फीडिंग की नहीं या लापरवाही से की ऐसे बच्चों की फीडिंग कैसे होगी। 
तमाम लोग यहां शिक्षा विभाग से जुड़े हुए हैं कृपया अपनी सम्मति प्रदान करने का कष्ट करें।

शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

शक्ति कहाॅं विज्ञान में?

भॅंवरे ने क्या फूॅंक दिया है? मन्त्र कली के कान में।
खिल खिल करके खुशबू अर्पित, कर दी जग को दान में।
अधर खोल कुसुमावलि हॅंस दी, जीवन जगा विहान में।
नैसर्गिक सम्बन्ध समझ लें, शक्ति कहाॅं विज्ञान में?
चमक दमक जयघोष कर रहे, पवनों के सम्मान में।
धरती को श्रृंगारित करते, प्राण डालते धान में।
आलिंगन कर गिरिश्रृंगों को, मेघ जुटे जल-दान में।
नैसर्गिक सम्बन्ध समझ लें, शक्ति कहाॅं विज्ञान में?
गोले ने जादू दिखलाया, चढ़कर अरुण विमान में।
कण-कण में जीवन लहराया, हलचल गगन वितान में।
खगकुल ने जयगान सुनाया, सूर्य देव की शान में।
नैसर्गिक सम्बन्ध समझ लें, शक्ति कहाॅं विज्ञान में?

बुधवार, 25 अक्टूबर 2023

हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन

जो मूडे मा आवा तौ मजमा लगायेन।
हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन।।
मदन्नू, महतिया, महेन्दर, मुरारी,
सबै गाॅंठै बातें हवा की सवारी।
न गन्ना न गेंहूॅं न मोहरा दुआरी,
न गैया न गोरू बनाई बिगारी।
मगर इनके मुॅंह ज्ञान अद्भुत पिटारा,
बिखेरै की खातिर इनका बुलायेन।।
हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन।।
रहै मद्दा ठगउरि न जाने थी पब्लिक,
रहै खाइ का कम खुशी पै चतुर्दिक।
मदन्नू बताइनि कमर मा गई चिक,
जो उल्टा था जन्मा लगाएसि जरा किक।
रहै बात अद्भुत समुझि माॅं न आवै,
बिना डाॅक्टर औ' दवा दौड़ि पायेन।।
हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन।।
महतिया बनाएनि महत्तम जतन ते,
जिला राजधानी सबै नापि तन ते।
न लेना न देना बड़े अफसर न ते।
बड़े बरगदन का उखारिनि जरन ते।
जो पूछेन सचाई बताइनि महतिया,
कि थोड़ा जलेन हम औ ज्यादा जलायेन।।
हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन।।
महेन्दर न समझैं पढ़ाई-लिखाई,
कहैं लरिकिनी सीखि जातीं ढिठाई।
जै कॉलेज के लरिका जुगाड़ैं भिड़ाई,
तकैं नौकरी कामु अपनो बिहाई।
निजी सभ्यता संस्कृति को भुलाये,
जुआ, दारू-सिगरेट में सबकुछ उड़ायेन।।
हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन।।
मुरारी बड़ी चिन्त करते सबन की,
दिशा मोड़ सकते गगन के पवन की।
रखें जानकारी खगन के परन की,
इन्हैं युक्ति आवै समस्या हरन की।
मगर सिलि न पावैं अपनी फटी का,
पड़ोसी के कुत्ता से खुद का कटायेन।।
हमहु खाली खपड़ी की खुजली मिटायेन।।

सोमवार, 23 अक्टूबर 2023

बेचारी जनता

19/05/2018

जब जब चीजें हल्के में ले ली जायेंगी।

सड़ी चादरें जोड़ तोड़ से सीं जायेंगी।

रिश्वत वाले पेट नगाड़ा हो जायेंगे।

जिम्मेदार तानकर चादर सो जायेंगे।

तब तब बिल्डिंग या फिर पुल को गिरना होगा।

बेचारी जनता को पिसना मरना होगा।।


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रविवार, 8 अक्टूबर 2023

आयुष्मान कार्ड की प्रासंगिकता

हमें पाॅंच लाख वाली बीमारी हो जाये तो साहब हम मरना पसंद करते हैं इलाज कराना नहीं। हमारे लिए तो खाॅंसी जुकाम बुखार दस्त पेचिश का इलाज ही सस्ता मिल जाए बस इतना करिये। लेकिन आप तो सब्जबाग दिखाने में माहिर हैं, आपको पता है कि हल्की-फुल्की बीमारी में हम आयुष्मान योजना का लाभ लेने से रहे और पाॅंच लाख वाली बीमारी हो इससे पहले मर जायेंगे। आपके लिए सॉंप भी मरा और लाठी भी नहीं टूटी। एक तरफ पीठ भी थपथपा ली अपनी कि हम गरीबों का इलाज मुफ्त में करेंगे दूसरी तरफ इलाज भी न करना पड़ेगा।
शर्त यह भी आयुष्मान कार्ड उसका बनेगा जिसके राशनकार्ड पर ६ यूनिट हों। अब 6 यूनिट बनाने की न तो क्षमता रही और न मानसिकता।
मुझे याद है कि 1990-2000 के दशक में कोई भी सरकारी अस्पताल चला जाता और डॉक्टर उसे ठीक से देखभाल कर दवा दे देता था बस एक रूपए के पर्चे पर। आज क्या हो गया? कि आयुष्मान कार्ड की जरूरत पड़ गई। इस ढोंग की क्या आवश्यकता है? जितना स्टाफ और कर्मचारी व अन्य खर्च आयुष्मान कार्ड के निर्माण पर है उतने के खर्च में तो गरीब आदमी के छोटे मोटे इलाज करा दीजिए साहब। लेकिन इससे आपको प्रचार नहीं मिलेगा न। आप तो ठहरे प्रचार प्रिय प्राणी।
कुछ न करें इतना करें। 2018 से पूर्व की व्यवस्था ही दवा व्यापार में लागू कर दें। 2018 से पूर्व जब आप दवा लेने मेडिकल स्टोर पर जाते थे तो आपको पता था कि यह ओरिजनल कम्पनी की दवा है और इसकी कीमत में बहुत ज्यादा ऊॅंचनीच नहीं होगी। 200 रुपए की दवा का मतलब 200 रुपए। लोकल या नकली दवा उसका कोई रेट नहीं है उसे पता था। आज ओरिजनल कम्पनी की दवा भी 200 रुपए रेट प्रिंट है कहो एक मेडिकल स्टोर पर 150 रुपए की मिले तो दूसरे मेडिकल स्टोर पर केवल 50 रुपए की। कोई नियंत्रण आपका है कि नहीं? या लूट की खुली छूट है? मुझे लगता है 2019 के इलेक्शन का खर्च दवा मार्केट से ही वसूला जा रहा है। रही सही कसर आयुष्मान कार्ड के बहाने पूरी करने प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य सभी अमीर गरीब को समान रूप से उचित खर्च पर उपलब्ध हों ऐसे प्रयास होने चाहिए किन्तु वर्तमान में दोनों की हालत बद से बद्तर हो रही है और आप शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

शनिवार, 23 सितंबर 2023

ओ! सबकी सुधि रखने वाले!

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२३//९६ जन-फर ९७ रश्मिरथी में प्रकाशित
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।
एक बार मम गाँव द्वार पर निज नयनों में नेह धार धर।
हल्के हल्के उर सहला जा थका हुआ हूँ कुछ बहला जा।
करुणा की बरखा का मुझ पर तामझाम तू लिख ले।
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।
जाने कितनी बार निकट से सूक्ष्म रूप से या कि प्रकट से।
मुझे लगा यह अभी गये तुम टेरा तुमको किन्तु हुए गुम।
एक बार एक पल मेरे उर का विराम तू लिख ले।
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।
दे सका कुछ दे सकूँगा जो अर्पित निज कह सकूँगा।
किन्तु मुझे इतना अशीष दो तव चरणों नत रहे शीश दो।
तुझ पर श्रद्धा रहे अटल मम सुबह शाम तू लिख ले।
निज नामावलि में मेरा भी एक नाम तू लिख ले।
! सबकी सुधि रखने वाले एक काम तू लिख ले।


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शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

अगर तुम पास आ जाओ

लगी है हाट जब सुन्दर तो कुछ तो क्रीत हो जाये।
उठो दौड़ो करो जल्दी न इच्छा शीत हो जाये।।
जहॉं निर्मल हृदय होगा अहम् से दूरियॉं होंगी।
सुकोमल मन मिले कोई न चाहे प्रीत हो जाये।।
हृदय का मूल्य वे देंगे स्वयं समृद्ध जो उर से,
सॅंभल कर कीजिये सौदा नहीं अनरीत हो जाये।।
न समझूॅं स्वर न जानूॅं लय विकल मैं रागिनी खोजूॅं।
अगर तुम पास आ जाओ तो फिर से गीत हो जाये।।
करूॅं साधन कहाॅं कितना यही आकर बता जाओ।
कठिन हो कर्म कितना भी सरलतम जीत हो जाये।।

बुधवार, 13 सितंबर 2023

यशोधरे! तुम जान पाईं

युवरानी जब सो जायेगी तब युवराज चलेगा वन को।
लुभा नहीं श्रृंगार सका यदि तो वैराग्य जमेगा मन को।।
इतना भी पहचान न पाईं।
यशोधरे! तुम जान न पाईं।
संतों का अपना स्वभाव है सम्राटों की अपनी लीला।
सुत का प्रेम पिता की आज्ञा कर न सकी नयनों को गीला।।
बाॅंध सको वह बान न पाईं।
यशोधरे! तुम जान न पाईं।
कितना कठिन फैसला होगा उर पर प्रस्तर लेकर जाना।
पद, पैसा, प्रिय पुत्र, प्रिया सबको तजकर सम्बन्ध भुलाना।।
तुम थोड़ा दे दान न पाईं।
यशोधरे! तुम जान न पाईं।
चले गए फिर वापस आये संन्यासी का वेश संवारे।
तब भी तुमसे बना नहीं यह स्वागत करतीं आतीं द्वारे।।
स्वामी का कर मान पाईं।
यशोधरे! तुम जान पाईं।।

सोमवार, 11 सितंबर 2023

जटिल घातांक-1

प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रायः बड़ी बड़ी घातांकों वाले प्रश्न पूछ दिये जाते हैं कि यदि उन्हें कागज कलम लेकर हल करने बैठेंगे तो हल करने में बहुत सा समय व्यर्थ चला जायेगा| यूँ तो यू ट्यूब पर तमाम वीडियो पड़े हैं लेकिन बहुत से वीडियो गलत जानकारी देकर कभी कभी छात्रों का अहित कर देते हैं| इसलिए मैं यहाँ हल करने का तरीका बताने के साथ सिद्ध भी करूँगा|
पहले प्रश्नों के कुछ उदाहरण देख लें फिर हल करने का तरीका बताते हैं|

`(17)^{200}\div 16` का शेषफल क्या होगा?`
`(25)^{25}\div 26` का शेषफल क्या होगा?
`(6)^{13}\div 5` का शेषफल क्या होगा?
`(126)^{227}\div 125` का शेषफल क्या होगा?
`(315)^{123}\div 314` का शेषफल क्या होगा?
`(423)^{200}\div 422` का शेषफल क्या होगा?
`(525)^{224}\div 524` का शेषफल क्या होगा?
`(346)^{154}\div 345` का शेषफल क्या होगा?
 तो प्रिय छात्र/छात्राओं इसमें कुछ भी हल न करते हुए सभी प्रश्नों का शेषफल 1 लिखना है|
ध्यान दें, उपरोक्त सभी प्रश्न    `(a+1)^{n}\div a`  प्रकार के हैं| सभी वे प्रश्न जिनमें भाज्य (भाग दिये जाने वाली संख्या) का आधार भाजक (भाग करने वाली संख्या) से 1 अधिक हो, उनमें भागफल सदैव 1 आयेगा| आधार के घातांक से कोई लेना देना नहीं| घातांक कुछ भी हो|
अब प्रश्न है ऐसा क्यों? तो ध्यान दें|
`(a+1)^{2}\div a` = `(a^{2}+2a*1+ 1^{2})\div a`
                            = `(a^{2}+ 2a+ 1)\div a`                
इसी प्रकार 
`(a+1)^{3}\div a` = `(a^{3}+3a^{2}*1^{1}+ 3a^{1}*1^{2}+1^{3})\div a`
                            = `(a^{3}+3a^{2}+3a + 1)\div a`
तथा `(a+1)^{4}\div a` = `(a^{4}+4a^{3}*1^{1}+ 6a^{2}*1^{2}+4a ^{1}*1^{3}+1^{4} )\div a`
                            = `(a^{4}+4a^{3}+ 6a^{2}+4a +1)\div a`
उपरोक्त उदाहरणों  `(a+1)^{2}`, `(a+1)^{3}` तथा `(a+1)^{4}` में सभी का विस्तार करने पर हम देखते हैं कि घातांक 2 के विस्तार में 3 पद हैं घातांक 3 के विस्तार में 4 पद हैं तथा घातांक 4 के विस्तार में 5 पद हैं इसी तरह जैसे जैसे घातांकों की संख्या बढ़ेगी एक पद बढ़ जायेगा| इन सभी में अंतिम पद 1 होगा यही अंतिम पद जिसका मान है 1 समस्त पदों को a से भाग देने पर शेष रहेगा| प्रारम्भ के सभी पद a से विभाजित हो जायेंगे|
तो प्रिय छात्र/छात्राओं पुनः बताना चाहूँगा कि यदि भाज्य संख्या भाग देने वाली संख्या से एक अधिक है तो शेषफल सदैव 1 होगा भाज्य संख्या का घातांक कुछ भी हो|

अब निम्नलिखित प्रश्नों को देखें| 
1. `(17)^{200}\div 18` का शेषफल क्या होगा?
2. `(24)^{207}\div 25` का शेषफल क्या होगा?
3. `(107)^{15}\div 108` का शेषफल क्या होगा?
4. `(175)^{86}\div 176` का शेषफल क्या होगा?
5. `(455)^{999}\div 456` का शेषफल क्या होगा?
तो प्रिय छात्र/ छात्राओं यहाँ जो भाजक है वह भाज्य से एक कम है अर्थात निम्नलिखित प्रकार का मामला है|
`( a-1 )^{n}\div a`
इन प्रश्नों का उत्तर लिखते समय घातांक पर ध्यान दें| यदि घातांक एक सम संख्या अर्थात 2,4,6,8.10,12,.......... आदि है तो बिना सोचे बिचारे शेषफल 1 लिख दें अन्यथा शेषफल वह संख्या लिखें जिसे भाग दिया जा रहा है|
जैसे उपरोक्त उदाहरण 1 व 4 में शेषफल 1 है जबकि उदाहरण 2, 3, व 5 में शेषफल क्रमशः 17, 107 व 455 होगा|
ऐसा क्यों? तो ध्यान दें|
`(a-1)^{2}\div a` = `(a^{2}-2a*1+ 1^{2})\div a`
                            = `(a^{2}- 2a+ 1)\div a`                
इसी प्रकार 
`(a-1)^{3}\div a` = `(a^{3}-3a^{2}*1^{1}+ 3a^{1}*1^{2}-1^{3})\div a`
                            = `(a^{3}-3a^{2}+3a - 1)\div a`
तथा `(a-1)^{4}\div a` = `(a^{4}-4a^{3}*1^{1}+ 6a^{2}*1^{2}-4a ^{1}*1^{3}+1^{4} )\div a`
                            = `(a^{4}- 4a^{3}+ 6a^{2}- 4a +1)\div a`
  `(a-1)^{5}\div a` 
   = `(a^{5}-5a^{4}*1^{1}+ 10a^{3}*1^{2}-10a ^{2}*1^{3}-5a ^{1}*1^{4}+1^{5} )\div a`                           = `(a^{5}-5a^{4}+ 10a^{3}-10a ^{2}+5a -1 )\div a`

उपरोक्त उदाहरणों  `(a-1)^{2}`, `(a-1)^{3}`, `(a-1)^{4}` तथा `(a-1)^{5}` में सभी का विस्तार करने पर हम देखते हैं कि घातांक 2 के विस्तार में 3 पद हैं घातांक 3 के विस्तार में 4 पद हैं घातांक 4 के विस्तार में 5 पद हैं तथा घातांक 5 के विस्तार में 6 पद हैं इसी तरह जैसे जैसे घातांकों की संख्या बढ़ेगी एक पद बढ़ जायेगा| इन सभी में अंतिम पद 1 होगा किन्तु जहाँ जहाँ घातांक विषम हैं वहाँ यह 1 ऋण का है तथा जहाँ जहाँ घातांक सम है वहाँ यह 1 धन का है|  यही अंतिम पद जिसका मान है +1 समस्त पदों को a से भाग देने पर शेष रहेगा| प्रारम्भ के सभी पद a से विभाजित हो जायेंगे| किन्तु जहाँ अंतिम पद का मान है -1 वहाँ शेषफल आयेगा - 1| यदि यह विकल्प में है तो इसे शेषफल के रूप में लिखें अन्यथा शेषफल होगा a -1 अर्थात वह संख्या जिसे a से भाग दिया जा रहा है| उपरोक्त उदहारण 2,3 व 5 में यही होगा|

ध्यान दें, यदि शेषफल ऋणात्मक हो तो ऋणात्मक शेषफल को भाजक में से घटाकर धनात्मक शेषफल प्राप्त कर  सकते हैं|

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रविवार, 10 सितंबर 2023

कुविचारों की धूल छंटा दे

21/02/2017

चाहे जो इल्जाम सटा दे।
लिस्ट से मेरा नाम हटा दे।
तेरी हर हाँ पर हाँ कर दूँ,
अपने वश की बात नहीं है।
झूठ पे अपना नख ना काटूँ,
सच पर मैं जो शीश कटा दे।
क्या है प्रगति मनुज से पशु में,
अपनी समझ नहीं आता है,
जंगल से शहरों तक पथ पर,
कुविचारों की धूल छंटा दे।
अपनी छत अपनी दीवारें,
करने में षडयन्त्र जुटी हैं।
मुझ पर जो विश्वास नहीं है,
तो प्राणों का भाव घटा दे।


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गुरुवार, 7 सितंबर 2023

इण्डिया बनाम भारत

हमारे गाॅंव-देहात में एक कहावत है कि "गुह मा ईंटइ डरिहौ तो छिट्टइ पैहौ"। जब से विपक्षी दलों ने इकट्ठे होकर अपने गठबंधन का नाम "इण्डिया" रख लिया तब से भाजपा को देश का नाम बदलकर भारत रखने की खुजली शुरू हो गई। यह वही भाजपा है जिसने अपने कार्यकाल में अपने अनेक कार्यक्रम इण्डिया के नाम पर शुरू किये हैं। उदाहरण के लिए, "मेक इन इंडिया, खेलों इण्डिया, डिजिटल इण्डिया, फिट इण्डिया आदि।" यह वही भाजपा है जिसने मुलायम सिंह यादव के द्वारा सन 2004 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में लाये गये इण्डिया के स्थान पर देश का नाम भारत करने के प्रस्ताव का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया था। यह इस देश की राजनीति की बड़ी सुन्दर विशेषता है कि पक्ष से विपक्षी और विपक्ष से पक्ष में जाने पर नेताओं के चश्मे का नम्बर बदल जाता है।
विपक्ष भी यह भूल गया कि एक समय कहा गया था, "इन्दिरा इज इण्डिया एण्ड इण्डिया इज इन्दिरा"। कहना अलग बात थी और होना अलग। इन्दिरा चुनाव हार गईं और चापलूसों का दिया नारा फ्लॉप हो गया।" कुछ ऐसा ही पुनः होने जा रहा है। अन्तर मात्र इतना है कि आज एक समूह अपने को इण्डिया घोषित कर रहा है। 
कोई भी व्यक्ति या समूह अपना नाम इण्डिया रख ले तो उसका उद्धार तो होने से रहा। हॉं अपने कर्म बदल लें तो बात दूसरी है। जिसकी हाल साल में कोई सम्भावना नजर नहीं आती।
मैंने एक सोसायटी का रजिस्ट्रेशन 1998 में कराया था। आज भी कार्यरत है। नाम है, "भारतीय चेतना समिति" आजकल भारतीय, राष्ट्रीय आदि नामों से संस्थाओं के पंजीकरण नहीं होते। मैं सोचता हूॅं अगर मैंने समिति का नाम कुछ और रखा होता तो क्या अन्तर आता। शायद कुछ भी नहीं। 
अब चाहे विपक्ष अपना नाम इण्डिया रख ले या पक्ष इण्डिया के स्थान पर भारत शब्द का प्रयोग करे। आम आदमी पर इसका क्या प्रभाव होगा? संविधान में भले ही लिखा है, "इण्डिया दैट इज भारत" और राजनीतिक लिखा पढ़ी में देश विदेश में भले ही इण्डिया शब्द का प्रयोग किया जाता है, आम भारतीय जनमानस इस देश को भारत के नाम से ही जानता है। जब जब कोई सनातनधर्मी संकल्प के मन्त्र का उच्चारण करता है तो वह यही करता है,
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2080, तमेऽब्दे नल नाम संवत्सरे दक्षिणायने ……. ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे ……. मासे …… पक्षे …….. तिथौ ……. वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ……….. (जिस देवी.देवता की पूजा कर रहे हैं उनका नाम ले)पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये।
इस मन्त्र में कहीं इण्डिया शब्द का प्रयोग नहीं है। इस मन्त्र में स्पष्टतः भारतवर्ष शब्द का प्रयोग किया गया है।
पक्ष और विपक्ष जनहित के मुद्दों की उपेक्षा कर कृपया इस पर राजनीति न करें। इण्डिया को इण्डिया और भारत को भारत रहने दें। विपक्ष को चाहिए कि जनभावनाओं को समझकर ही किसी मुद्दे को हवा दे। आखिर विपक्ष को इसमें आपत्ति क्यों होनी चाहिए कि इण्डिया के स्थान पर शब्द का प्रयोग किया जाये। जब हम राष्ट्रगान का वाचन करते हैं तब भारत भाग्यविधाता शब्द का प्रयोग करते हैं न कि  इण्डिया भाग्यविधाता। विपक्ष को समझना चाहिए कि इण्डिया भारत  -भारत इण्डिया करके वह भाजपा को ही लाभ पहुंचायेगा। हाॅं यदि वह शान्त रहे तो शायद इण्डिया भारत -भारत इण्डिया के मुद्दे पर आम आदमी ध्यान ही न दे।
भाजपा को भी चाहिए यदि वह वाकई गम्भीर है तो संविधान में संशोधन कर "इण्डिया दैट इज भारत" शब्द समूह को हटाये और व्यर्थ का वितण्डा बन्द करे।

रविवार, 27 अगस्त 2023

चन्दा मामा

जब से चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर उतरा है हम भारतीय बड़े प्रसन्न हैं हमने एक मील का पत्थर स्थापित किया है। समस्त देशवासियों व वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। किन्तु हम कवि हैं साथ ही वैज्ञानिक दृष्टि भी रखते हैं अतः हृदय में कुछ अलग प्रकार के भाव उठते हैं जिन्हें एक कविता में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। आशा है मैं अपने कवि धर्म में सफल रहा होऊंगा।
विज्ञान का यथारथ कवि उर की कल्पना है।
तुम हो खुशी मनाते पर चाॅंद अनमना है।
जो भी कहे ये दुनिया मैं मानता नहीं हूॅं, 
मेरा चाॅंद खुरदुरा है यह बात ही मना है।।
सौन्दर्य का नहीं प्रिय कोई बाॅंट दूसरा है।
सब यान जा के उतरे वह ठाॅंव दूसरा है।
हमने हमेशा पूजा पूजा किया करेंगे,
वह चाॅंद दूसरा है यह चाॅंद दूसरा है।।
स्नेहिल सुधा सुसज्जित सोलह कला सॅंवारे।
हे! दक्ष के जमाता शिव शीश डेरा डारे।
अनसूया-अत्रि के सुत दुर्वासा तेरे भाई,
कोई ऑंख जो दिखा दे फौरन उन्हें पुकारे।।
हे कृष्ण के खिलौने जन जन के जगत मामा।
विज्ञान है निठल्ली इसको न कोई कामा।
शायर गजल कहेंगे पण्डित पढ़ेंगे मन्तर,
निश्चिन्त हो गगन में जपो राम राम रामा।।

गुरुवार, 17 अगस्त 2023

तेरी बला से

ये गज़ल मेरी नहीं है आपकी है।
जो कलम है आपकी ही नाप की है।।1।।
हमको क्या है तर्जुमा ही जानते हैं।
आप जानो पुण्य की है पाप की है।।2।।
ये जो ऑंखें बन्द कर मक्कर किये हो,
जैसी भी है पर अदा ये टॉप की है।।3।।
खुश हूॅं या गुस्सा हूॅं मैं तेरी बला से।
कैफियत तेरी धनुष के चाप की है।।4।।
इस शहर को छोड़कर जाना पड़ा तो।
हर सवारी इस 'विमल' के बाप की है।।5।।

बुधवार, 16 अगस्त 2023

हार बैठे जिन्दगी

सोच में बन्दूक या खंजर छुरी तलवार थी।
किन्तु मक्तूलों के दिल पे दो नयन की धार थी।।1।।
थी नहीं पहचान कैसी है मुहब्बत की नजर।
इसलिए मैं बच गया वह मौत की ललकार थी।।2।।
खुद से दुनिया छोड़कर जाने का मुझको हक न था,
जिन्दगी ईश्वर ने दी थी उसका ही अधिकार थी।।3।।
बैठकरके सामने क्यों दो घड़ी बातें न कीं?
हार बैठे जिन्दगी ऐसी भी जिद बेकार थी।।4।।
त्यागना था त्यागता संसार में आसक्ति को।
तन छुटा पर कर्म संग था मृत्यु केवल भार थी।।5।।

बुधवार, 5 जुलाई 2023

बारिश हो तो

मेरी टीन तुम्हारा छप्पर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
छत भीगे या आँगन भीगे,
भीगे खेत महावन भीगे,
बचपन भीग बुढ़ापा भीगे,
या मस्ताना यौवन भीगे,
मेरी कार तुम्हारा ट्रैक्टर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
धरती भीगे अम्बर भीगे,
सच भीगे आडम्बर भीगे,
जीवन मृत्यु मुक्ति भव भीगे,
भीगे जून दिसम्बर भीगे।
मेरा घाव तुम्हारा नश्तर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?
बिस्तर खटिया चद्दर भीगे,
रेशम भीगे खद्दर भीगे,
सुख-दुख शान्ति शोरगुल भीगे,
भीगे करम मुकद्दर भीगे।
मेरी गागर तेरा सागर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?
तृषित मरुस्थल कण-कण भीगे,
तपित विरहिणी क्षण-क्षण भीगे,
रोम-रोम रसमय हो भीगे,
अंकुर -अंकुर तृण-तृण भीगे।
मेरा फूल तुम्हारा पत्थर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?

मंगलवार, 4 जुलाई 2023

अबला-सबला

पलकों पर लाज का भार धरे धरती धँसे नैन कथा रचते।
हिय में जब नेह की ज्योति जले तब संशय रंच नहीं बचते।
अभिमान श्रृंगार का व्यर्थ प्रिये! उपमा-उपमान कहाँ जँचते?
जब प्रेम-प्रसून प्रसारें सुगन्ध सदा तब मन्मथ आ मचते।।1।।

अलकावलि अबला की सबला बलवान हुई उर आहत है।
गजरे के सुकोमल पुष्प छिपा अनुभूत करे कुछ राहत है।
यह नैन शरों क्षतविक्षत है पर सोंच यही कि अनाहत है।
लगे नागिन-वृन्द ये केश समूह न चिंत यहीं रहे चाहत है।।2।।

शनिवार, 27 मई 2023

चाहते जो फायदा

वैद्य का बतावै परी, भीर जौन आय परी,
तबै जी मा चैन परी, हेकड़ी तो न चली।
साँची जो बतैहौ नाइ, दवा ठीक पैहौ नाइ, 
ईश न करी सहाइ, जान जाइ न चली।
चाहते जो फायदा तउ सीखि लेउ कायदा,
तुमसे जो ज्ञानी होय हेरफेर न चली।
बात यहै एक भली बनौ नहीं बाहुबली, 
जैसे कहै उठौ बैठो मनमौज न चली ।।

रविवार, 21 मई 2023

मेरा सफर

अगस्त ९८
यूँ ही नहीं हो जायेगा,
मेरे सफ़र का खात्मा।
मैं कोई चिराग नहीं जो बुझा तो अँधेरा हो जायेगा।
मैं कोई तूफान नहीं जो अपने साथ सब कुछ समेट ले जायेगा।
मैं बाढ़ नहीं जो अपने साथ महाविनाश लायेगा।
मैं शूल नहीं जो चुभेगा और याद आयेगा।
मैं फूल भी नहीं हूँ जू डाल से मिट्टी में गिरेगा,
और मिट जायेगा।
मैं आग भी नहीं हूँ, जो फैल गयी तो सब राख में बदल जायेगा।
मैं मोम भी नहीं हूँ, जो आँच पाकर पिघल जायेगा।
मैं वो खुशबू हूँ जो चारों तरफ फैल जायेगी, नासिका के रास्ते मस्तिष्क में ठहर जायेगी।
जब कभी याद आयेगी तो बहुत याद आयेगी।
यूँ ही नहीं हो जायेगा,
मेरे सफ़र का खात्मा।
मैं वो नहीं जो मंजिल पाकर ठहर जायेगा।
मैं वो हूँ जो बहुत आगे बहुत आगे बहुत आगे जायेगा।



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गुरुवार, 18 मई 2023

क्या याचना करूँ मैं

11/3/1995

1

अब आप ही बता दें,

क्या याचना करूँ मैं?

जो दे चुके हो अब तक,

उसको कहाँ धरूं मैं?

दो वक्त लोन रोटी,

तन को ढकूँ लँगोटी,

सो जाऊँ यार जिसमें,

वह झोपड़ी न छोटी|

अतिरिक्त चाहिए क्या,

क्या याचना करूँ मैं?

गैरों से माँग होती,

अपनों से पूर्ति होती,

तुझसे जुदा न मेरी,

कभी आत्मा है होती,

तुम यदि कहो की मांगो,

क्या भावना करूँ मैं?

तेरा धूर्त यार जाने,

सब कुछ तेरे खजाने,

तेरा हाथ सिर पे जब तक,

सभी मैंने अपने माने,

सच्ची रहे ये यारी,

दृढ़ कामना करूँ मैं|


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रविवार, 2 अप्रैल 2023

मैच जीतेंगे हमीं


देखकर तुमको हमारी साँसें रहती हैं थमीं। 
शीर्षासन में जमे हो या कि सिर पर है जमीं।
ये भी हो सकता है मैं ही हो गया उल्टा खड़ा,
इसलिए हर चीज में दिखने लगीं मुझको कमीं।
हौसला था इसलिए हम भी तरक्की पा गए, 
अन्यथा पंखों में अब तक है बहुत ज्यादा नमीं|
बॉल सब खेलीं नहीं मैं तो डिफेंसिव ही जिया, 
किन्तु मन में था हमेशा मैच जीतेंगे हमीं।

शुक्रवार, 17 मार्च 2023

बच्चे!


बच्चे! तुम्हारी दशा पशुओं की तरह हो गई है,
उसके चरागाह तुम्हारे खेलने की जगह खो गई है।
पशुओं की हालत हमेशा से खस्ता है,
तुम्हारी पीठ पर भी भारी सा बस्ता है।
उन्हें तो हमने रस्सियों में बाँधा है
यहाँ हमारे सपनों की बन्दूक है और
तुम्हारा काँँधा है।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

फागुन


विषय ---फागुन
विधा ----छंद - कुण्डलिया

1. फागुन आया देखकर आम उठा बौराय।
    पिया बसे परदेश में, कोयल रही बुलाय।
    कोयल रही बुलाय, धरा है धानी धानी।
    मादकता सिर चढ़ी कर रही पानी पानी।
    समझ न आवें मित्र! ससुर बहुओं के लच्छन।
    मन को दे भरमाय मदन का भाई फागुन।।
 
    2- फागुन चढ़ा मुंडेर पर, घोट रहा है भाँग।
        देवर जी का लग रहा, नम्बर हो गया राँग।
        नम्बर हो गया राँग, मनाते घूमें भाभी।
        हर ताले की पास रखें जो अपने चाभी।
        चाहत गोरा होंय माँगते क्रीमें साबुन।
        भाभीजी की बहन भा गई अबकी फागुन।।
               

रविवार, 29 जनवरी 2023

नवोदितों को सुझाव

एक तो बिना पूछे व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ लेते हो, बिना यह विचार किये हुए कि मेरे पास समय भी है कि नहीं। चलो माना मेरे पास ग्रुप छोड़ने का विकल्प है तो छोड़ दिया। मसला खत्म। 
नहीं मसला खत्म नहीं है, आप विचार करें आपने ग्रुप बनाया क्यों? अपने ग्रुप का उद्देश्य अवश्य स्पष्ट करें। अगर वाकई साहित्य और भाषा का उत्थान आपका उद्देश्य है तो प्रथम तो भाषा और साहित्य का अध्ययन और अनुशीलन स्वयं करें। नीम हकीम अस्पताल खोलें तो ठीक मेडिकल कॉलेज भी खोलकर बैठे हैं यह हजम नहीं होता। दूसरे जिन सदस्यों को जोडें उन्हें बता दें कि परिष्कृत और परिमार्जित रचनाएं प्रस्तुत करें। यदि कुछ रचनाएं अपरिष्कृत और अपरिमार्जित हैं तो एडमिन को अधिकार होना चाहिए कि वह उस रचना के सन्दर्भ में उचित सुझाव अपने सदस्य को दे। सदस्य को चाहिए कि उन सुझावों को सहृदयता से अवलोकन करे और उचित होने पर स्वीकारे। 
किसी भी लेखन को सही ठहराने से भाषा व साहित्य का उत्थान तो होने से रहा ग्रुप की गरिमा भी समाप्त होती है। 
अगर एडमिन के अलावा अन्य सदस्य कोई सुझाव दे रहा है तो अवश्य विचार करें। यह क्या बात हुई कि वाह वाह ग्रुप में कर दूँ तो लेंड़ फूल गए और जरा सी आलोचना हुई तो गाल फूल गए।प्रसंशा पटल पर चाहते और डाँट पर्सनल रूम में। यह द्वैध आचरण है इससे अन्य लोगों के सीखने का अवसर समाप्त होता है। ग्रुप में बैठकर हगोगे तो डंडे खाने का साहस भी रखो। टाइपिंग मिस्टेक, शब्दों की वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ जाने अनजाने सबसे होती हैं किन्तु बुद्धिमान लोग ऐसी पोस्ट को डिलीट कर सुधरी पोस्ट दुबारा लगा देते हैं। त्रुटि को जानकर और मानकर पोस्ट को डिलीट न करना निर्लज्जता है और अर्थ का अनर्थ होने से आपकी रचनाधर्मिता का महत्व समाप्त होता है।
नवोदितों को चाहिए वे स्वीकारें कि अभी सीख रहे हैं इससे उनकी सम्मान घटता नहीं है अपितु बढ़ता है। शिक्षार्थी कभी अपमानित नहीं होता गुरुता के दावेदार पग पग पर अपमानित होते हैं।
कुछ सामान्य त्रुटियाँ निम्नलिखित हैं नवोदित इन पर अवश्य ध्यान दें।
1- छन्द सम्बन्धी त्रुटियाँ, आजकल इन पर ध्यान नहीं दिया जाता और इनको लेकर कोई चिन्ता की बात नहीं क्योंकि छन्दमुक्त कविता का युग है।
2- विरोधाभासी विचार सम्बन्धी त्रुटियाँ, इन पर अवश्य ध्यान दें विशेषकर लम्बी कविताओं और गजलों में प्रायः नवोदित शुरुआत में जो कहते हैं अन्त में उसी बात की काट भी कर जाते हैं। इससे कवि व लेखक दिग्भ्रमित प्रतीत होता है। स्रोता अथवा पाठक को आप क्या कहना चाहते हैं। यह स्पष्ट रखें।
3- संस्कृति की अज्ञानता सम्बन्धी त्रुटियाँ, सरस्वती को शक्ति की देवी, दुर्गा को ज्ञान की देवी, शंकर को सर्जनहार, विधाता को प्रलयंकर कहना आदि। 
4- जल्दी जल्दी बहुत अधिक लिखकर तत्काल पोस्ट करना, यह बहुत बड़ी त्रुटि है एक साहित्यकार अपने समय का अमिट हस्ताक्षर होता है। आज वह जो लिखेगा वर्षों बाद वह प्रमाण रूप में स्वीकारा जाएगा अतः जो लिखें उसे कम से कम पाँच बार पढ़ने का नियम अवश्य बनायें तब पोस्ट करें। 
5- स्वयं को स्वयंभू मानने की त्रुटि, जो लिखें उसे अपने से निकटतम वरिष्ठ साहित्यकार को अवश्य सुनायें और सुझाव प्राप्त करें।
आप मुझसे सहमत हों आवश्यक नहीं किन्तु विचार अवश्य करें। इस पोस्ट में बहुत कुछ छूट गया है। थोड़ा लिखा अधिक समझना। हमारे यहाँ पत्र में लिख दिया जाता रहा है, तथावत लें।

मंगलवार, 24 जनवरी 2023

सीधी सच्ची बात

मन को माता साध दे, सत सुर के अनुरूप|
उर भावों को दे सकूं, निश्छल हो सदरूप||1||
मेरे अनुभव लाभ दें, कर दें जन कल्याण|
माता! उन पर लेखनी, पाए लय गति प्राण||2||
माता विनती एक है मेरी यह कर जोर|
अब तो आकर काट दो अहंकार की ड़ोर||3||
नेह प्रकट हो शैल से सरि धारा की भांति|
जल कण मोती सी अमर हो शब्दों की पांति||4||
बस छूते ही खींच लें उर को ध्वनि की ओर|
अलंकारमय शब्द दे, नाच उठे मन मोर||5||
जो कानों को प्रिय लगे दर्शा दे दो छंद|
माता जिन पर लेखनी पाए गति निर्द्वन्द।।6।।
सद्य प्रफुल्लित हृदय हो रसयुत होवें कर्ण|
अधरों से प्रस्फुटित हों विचरे नभ में वर्ण||7||
संध्या संध्या सी रहे रहे प्रात सम प्रात|
उलझन सुलझाती रहे सीधी सच्ची बात||8||
सरल शब्द मस्तिष्क में पनपें तव आशीष|
सेवा सत साहित्य में झुका रहे मम शीश||9||


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शनिवार, 21 जनवरी 2023

दिमाग की बत्ती जलाओ

हमारे भतीजे मोहन शैतानी में सबसे आगे| ले आये एक बल्ब उठाकर और दिखाने लगे कलाकारी आप भी देखें और मनोरंजन करें| किसी विज्ञान की खोज न करें| कोई बहुत बड़ा रहस्य नहीं है|




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यू० पी० महोत्सव से मेरा काव्यपाठ

पोस्टल ग्राउंड अलीगंज लखनऊ में जनवरी २०२३ में आयोजित यू० पी० महोत्सव २०२२ में मुह अकिंचन को भी काव्य पाठ का अवसर प्राप्त हुआ| देखें सुने मेरी कुछ कवितायें|








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गीत-वीडियो

विद्यालय में जब बच्चों ने गाना शुरू किया तो अपने को न रोक सका और रिकार्डिंग शुरू हो गई आप भी देखें व सुने|


दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए -आशी देवी कक्षा 9 माँ भारती विद्या मंदिर, अयारी, हरदोई




बहुत प्यार करते हैं तिरंगे से हम, आशी देवी कक्षा 9



श्याम तेरी वंशी, कीर्ति सिंह कक्षा ७ माँ भारती विद्या मंदिर





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मैया ओढ़े चुनरी औरभजन करो मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है - मणि बाजपेयी ढोलक पर

एक छोटा बच्चा जिसकी उम्र मात्र ५ वर्ष है जब ढोलक बजाना शुरू किया तो अपने को उसको फिल्माने के लिए न रोक पाया|

भजन करो मस्त जवानी में बुढ़ापा किसने देखा है- मणि बाजपेयी ढोलक बजाते हुए



मैया ओढ़े चुनरी- मणि बाजपेयी ढोलक पर




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'माँ' सुनील जोगी

हमारे भतीजे शुभम शुक्ला को  माँ विषय पर कविवर सुनील जोगी की कविता बहुत पसंद आयी और होली मिलन समारोह के अवसर पर श्री भूरेश्वर मन्दिर भाटनटोला पिहानी में  पढ़ी गयी आप भी सुनें|




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रविवार, 15 जनवरी 2023

जैसा तैसा

मेरे बस में कुछ होता? तो ऐसा होता?
आगे चलता मैं पीछे से, पैसा होता।
हाथपैर की पटकन को ही, कर्म कहें तो,
नायक कर्मठजन का बंदर, जैसा होता।
क्यों लिखता हूँ अगर पता चल जाता प्यारे,
तो फिर सोचो मेरा लेखन कैसा होता?
तुमने आसानी से रचना लाइक कर दी,
लेकिन मुझसे लिखना जैसा तैसा होता।।