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बुधवार, 5 जुलाई 2023

बारिश हो तो

मेरी टीन तुम्हारा छप्पर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
छत भीगे या आँगन भीगे,
भीगे खेत महावन भीगे,
बचपन भीग बुढ़ापा भीगे,
या मस्ताना यौवन भीगे,
मेरी कार तुम्हारा ट्रैक्टर,
बारिश हो...तो...किसी एक पर?
धरती भीगे अम्बर भीगे,
सच भीगे आडम्बर भीगे,
जीवन मृत्यु मुक्ति भव भीगे,
भीगे जून दिसम्बर भीगे।
मेरा घाव तुम्हारा नश्तर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?
बिस्तर खटिया चद्दर भीगे,
रेशम भीगे खद्दर भीगे,
सुख-दुख शान्ति शोरगुल भीगे,
भीगे करम मुकद्दर भीगे।
मेरी गागर तेरा सागर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?
तृषित मरुस्थल कण-कण भीगे,
तपित विरहिणी क्षण-क्षण भीगे,
रोम-रोम रसमय हो भीगे,
अंकुर -अंकुर तृण-तृण भीगे।
मेरा फूल तुम्हारा पत्थर।
बारिश हो...तो... किसी एक पर?

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी रचना सर।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ७ जुलाई २०२३ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!!!
    सच में समझो तो प्रकृति कितनी ही तरह से समझा रही है...
    बहुत ही सुन्दर सृजन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-07-2023) को   "आया है चौमास" (चर्चा अंक 4671)   पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  4. 'बचपन भीग बुढ़ापा भीगे,
    या मस्ताना यौवन भीगे,
    मेरी कार तुम्हारा ट्रैक्टर,
    बारिश हो...तो...किसी एक पर' ...क्या खूब कहा है आपने!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय बस आपका आशीर्वाद बना रहे

      हटाएं
  5. बेनामी6/8/23 2:13 pm

    अद्भुत रचना❤️

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