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गुरुवार, 18 मई 2023

क्या याचना करूँ मैं

11/3/1995

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अब आप ही बता दें,

क्या याचना करूँ मैं?

जो दे चुके हो अब तक,

उसको कहाँ धरूं मैं?

दो वक्त लोन रोटी,

तन को ढकूँ लँगोटी,

सो जाऊँ यार जिसमें,

वह झोपड़ी न छोटी|

अतिरिक्त चाहिए क्या,

क्या याचना करूँ मैं?

गैरों से माँग होती,

अपनों से पूर्ति होती,

तुझसे जुदा न मेरी,

कभी आत्मा है होती,

तुम यदि कहो की मांगो,

क्या भावना करूँ मैं?

तेरा धूर्त यार जाने,

सब कुछ तेरे खजाने,

तेरा हाथ सिर पे जब तक,

सभी मैंने अपने माने,

सच्ची रहे ये यारी,

दृढ़ कामना करूँ मैं|


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