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शुक्रवार, 17 मार्च 2023

बच्चे!


बच्चे! तुम्हारी दशा पशुओं की तरह हो गई है,
उसके चरागाह तुम्हारे खेलने की जगह खो गई है।
पशुओं की हालत हमेशा से खस्ता है,
तुम्हारी पीठ पर भी भारी सा बस्ता है।
उन्हें तो हमने रस्सियों में बाँधा है
यहाँ हमारे सपनों की बन्दूक है और
तुम्हारा काँँधा है।

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