गुरुवार, 13 अक्टूबर 2022

चन्द्र

एक चन्द्र नभ राजे, दूजो चन्द्र मुख चन्द्र,
तीजो चन्द्र माँगबेंदी माथ पे दिखानो है।
चौथो चन्द्र पतिदेव सामने जो दीख गए,
करवा में चार चन्द्र मन अनुमानो है।
कौन वालो चन्द्र तुम्हें पूजनो है चन्द्रमुखे!
बार बार यही प्रश्न चित्त उमड़ानो है।
सरल सुभाय किन्तु वाणी में वणिक सी,
बोल पड़ी भानुमती, राज ही छिपानो है।।

साथ ही जिन क्षेत्रों में चन्द्रमा आज दिखाई नहीं पड़ रहा है, उस क्षेत्र की बहनों के लिए अतिरिक्त पंक्ति

रूप लखि चन्द्रमुखिन चन्द्रमा लजाइ के,
सामने न आवे मेघ मध्य जा लुकानो है।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (19-10-2022) को "सच्चे चौकीदार" (चर्चा अंक-4586) पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. बहुत सुंदर सृजन, गहन अर्थ समेटे।

    जवाब देंहटाएं











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