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गुरुवार, 3 नवंबर 2022

ओ कुड़ी तू मुझसे पट

आपने हाँक लगाकर सामान बेचने वालों को देखा ही होगा। क्या कलात्मक ढंग से आवाज लगाकर अपने ग्राहक को केन्द्र में रखते हैं कि बस ग्राहक मना नहीं कर पाता। दूसरी ओर प्रेमी जन होते हैं बड़ा भावविभोर होकर प्रणय निवेदन करते हैं बेचारे पिटते पिटते बच जाते हैं, कभी पिट जाते हैं और कभी उनके वो पट जाते हैं। मेरा क्या होगा राम जाने? मैंने तो पहले वाली युक्ति ही उचित समझी। आनन्द के लिए मैंने लिखा आनन्द के लिए आप पढ़ें। मस्तिष्क को थोड़ी देर के लिए छुट्टी दें। 

आजूबाजू वाले छड, 
ओ! कुड़ी तू मुझसे पट!
नहीं सोच मैं पका हुआ हूँ,
नर्म डाल पर टँगा हुआ हूँ,
अब तक टपका नहीं अगर मैं, 
तेरी खातिर रुका हुआ हूँ।
एक बार तो मुझको चख,
मैं झट से जाऊँगा कट।।
ओ! कुड़ी तू मुझसे पट!
कुछ न करे तो यहीं खड़ी रह,
फोटो जैसे फ्रेम जड़ी रह,
आँखों की राहों से घुस जा,
दिल के बेड पर सदा पड़ी रह।
मैं भी बिल्कुल नहीं हिलूँगा,
रसिक प्रिये! मैं भी उद्भट।।
ओ ! कुड़ी तू मुझसे पट!
शरद-ग्रीष्म की चिंत नहीं कर,
केवल अपना चित्त सही कर,
चलो प्रेम का वित्त बढ़ायें,
ना ना कर मति नहीं दही कर।
खा लेना तू चाउमीन भी,
अभी न भूखी जा मरघट।
ओ ! कुड़ी तू मुझसे पट!

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-11-2022) को   "देवों का गुणगान"    (चर्चा अंक-4602)     पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (05-11-2022) को "देवों का गुणगान" (चर्चा अंक-4603) पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज शुक्रवार(०४-११-२०२२ ) को 'चोटियों पर बर्फ की चादर'(चर्चा अंक -४६०२) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  4. मस्तिष्क की छुट्टी दे दी।

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