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रविवार, 30 अक्टूबर 2022

संगिनि अपनी

अपनी प्रियतम प्रेम से, फेरे सिर पर हाथ।
बन्धु अभी तक है बना, सिर-बालों का साथ।
सिर-बालों का साथ, कलर है बिल्कुल पक्का।
लड़कों को आश्चर्य, चकाचक अब भी कक्का।
करिए साँचा प्रेम, और क्या माला जपनी?
सिर साजे सम्मान, साध लो संगिनि अपनी।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (02-11-2022) को  "जंगल कंकरीटों के"  (चर्चा अंक-4600)  पर भी होगी।
    --
    कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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